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गोवध मामले में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में लापरवाही पर हाईकोर्ट नाराज

प्रयागराज, 21 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौ वध अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में लापरवाही पर तीखी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को तलब करते हुए चार सालों का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि अगर पुलिस आयुक्त उपस्थित नहीं होते हैं तो मामले की सुनवाई की अगली तिथि 30 नवम्बर को गृह सचिव पूरे प्रदेश का ब्यौरा कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगे।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर दोनों अधिकारी नहीं उपस्थित होते हैं तो कोर्ट उनके खिलाफ आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगी। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिया है कि वह इसकी जानकारी गृह सचिव को उपलब्ध कराएं। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सैफ अली खान की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मामले में याची के पास से डेढ़ कुंतल गौमांस मिलने का आरोप लगा है। याची ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत दाखिल की है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला 2019 का है। आज तक विवेचना समाप्त नहीं हुई है। आए दिन इस प्रकार के मामले कोर्ट के समक्ष आते हैं। जबकि, उत्तर प्रदेश में गौ हत्या पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके गौहत्या की जा रही है और प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। गौ हत्या के सम्बंध में दर्ज प्राथमिकियों पर पुलिस की ओर से लचीला व्यवहार अपनाया जाता है। विवेचना समय पर समाप्त नहीं की जाती है। इसी कारण गौ हत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि पुलिस इस प्रकार के मामलों में गम्भीर नहीं है, जिसका सीधा लाभ अपराधियों को मिल रहा है और उनका मनोबल बढ़ता है।

हालांकि, यूपी सरकार की ओर से अधिवक्ता वेदमणि तिवारी की ओर से दलील दी गई कि सरकार की ओर से कड़ा निर्देश पारित किया गया है। बावजूद इसके पुलिस मुस्तैद नहीं है। इस पर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को अगली सुनवाई की तिथि पर वर्ष 2019 से लेकर अब तक गौ हत्या के दर्ज मामलों की संख्या, उनकी विवेचना की स्थिति की रिपोर्ट हलफनामे पर मांगा है। यह भी कहा है कि अगर पुलिस कमिश्नर रिकॉर्ड के साथ उपस्थित नहीं होते हैं तो गृह सचिव प्रदेश भर में पूरा ब्यौरा सहित उपस्थित होंगे।