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खेतो में कीट प्रबंधन के लिए करे नीम के पत्ते से बने नीमास्त्र का प्रयोग: डाॅ आशीष

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पूर्वी चंपारण,07 अक्टूबर(हि.स.)।अत्यधिक रसायनिक कीटनाशक के प्रयोग से मिट्टी और मानव की सेहत पर प्रतिकुल असर हो रहा है। ऐसे में किसान भाई प्राकृतिक रूप से नीम और हल्दी से तैयार काढा (नीमास्त्र) का प्रयोग कर खेतो में कीट प्रबंधन कर सकते है। उक्त जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी के मृदा विशेषज्ञ डा.आशीष राय ने जीविका समूह की सदस्यों को नीमास्त्र बनाने का सजीव प्रशिक्षण देते हुए कही।

उन्होने कहा कि इसकी शुरूआत पोषण वाटिका, किचेन गार्डन और गृह वाटिका में उपयोग से करें।इससे रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग में न केवल कमी आयेगी बल्कि अगली पीढी भी स्वस्थ रहेगी।उन्होने बताया कि नीमास्त्र के उपयोग से मिट्टी की सेहत के साथ ही सब्जियों और फलों की गुणवत्ता भी बढेगी। प्राकृतिक खेती और समग्र उत्पादन समय की मांग है।इससे मिट्टी के पारिस्थितिकी तंत्र व मानव स्वास्थ्य को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है नीमास्त्र काढ़े के उपयोग से फसलो में वनस्पति कीट और अन्य रोगो का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया जा सकता है।यह काढ़ा एक तरल अर्क हैं जिसमे जैव सक्रिय यौगिक पर्याप्त मात्रा में होते हैं जिससे कीट,कवक और जीवाणुओ के नाश करने पर्याप्त गुण मौजूद हैं।

-कैसे बनाये नीमास्त्र

नीम के पत्ते 10 किलो, गाेमूत्र 10 लीटर, गाय का गोबर 2 किलो, पानी 200 लीटर

नीम के पत्ते या नीम के सूखे फल लें और इसको अच्छे से पीस लें और पतीले में पानी डालकर धीरे-धीरे गरम करें और जब नीम के पत्ते पूरी तरह से उबाल लें तब इसको ठंडा करें पानी के मिश्रण के साथ 200 लीटर पानी में डालें। इसमें 10 लीटर गौमूत्र डालें और दो किलो गाय का गोबर मिला दें।इसे लकड़ी से हिलाकर 48 घंटे तक ढककर छायादार जगह पर रखें

48 घंटे बाद घोल को सूती कपड़े से छान लें।इस प्रकार यह घोल छिड़काव के लिए तैयार हो जायेगा।

-कैसे करे उपयोग

रस चूसने वाले कीटों और छोटे कैटरपिलर के प्रबंधन के लिए 200 लीटर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।