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आठ साल बाद याचिका दाखिल करने पर विचाराधीन मामले में हस्तक्षेप का आधार नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 07 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका को आठ साल बाद दाखिल करने पर सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका तत्काल दाखिल करने के बजाय आठ साल बाद दाखिल की जा रही है। लिहाजा, याचिका में हस्तक्षेप करने का उचित आधार नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जय शंकर लाल श्रीवास्तव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को भी निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर कोर्ट के आदेश की जानकारी ट्रायल कोर्ट को भेज दे, जिससे कि ट्रायल कोर्ट अपनी कार्यवाही शुरू कर सके।

मामले में याची के खिलाफ चंदौली जिले के थाना चंदौली में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में जनवरी 2015 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। याची सहित कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था। मामला अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष विचाराधीन है। याची ने हाल ही में उसे चुनौती दी। मामला कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हुआ तो कोर्ट ने आठ साल बाद याचिका दाखिल करने के आधार पर खारिज कर दिया।