Saturday , December 21 2024

स्पोकेन इंग्लिश सर्वाधिक रोजगार पैदा करने वाली स्किल : डॉ. बीरबल झा

8a35e9bfe93278691e10d71348264f6f (1)

नई दिल्‍ली/पटना, 12 अगस्‍त (हि.स.)। स्पोकन इंग्लिश के क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठित संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक (एमडी) डॉ. बीरबल झा ने कहा कि अंग्रेजी आज हमारे देश में मात्र एक भाषा ही नहीं बल्कि एक स्किल के रूप में स्थापित हो चुकी है। इस स्किल को निखार कर युवाओं के साथ-साथ हर वर्ग के लोग अपने जीवन में उन्नति की नई बुलंदियों को छू सकते हैं।

‘विश्व युवा दिवस’ के अवसर पर ब्रिटिश लिंग्वा के बिहार की राजधानी पटना स्थित बोरिंग रोड सेंटर पर सोमवार को आयोजित सेमिनार “स्किल एज ए पासपोर्ट ऑफ प्रोस्पेरीटि फॉर टुडेज यूथ” को संबोधित करते हुए डॉ. झा ने कहा कि आज आपके आस-पास कई ऐसे ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट आदि उच्च डिग्रीधारी बेरोजगार घर बैठे मिल जाएंगे, जो अपनी असफलता का ठीकरा अपनी किस्मत और सरकार पर फोड़ रहे होंगे लेकिन आपने शायद ही किसी कारपेंटर, हजाम, इलेक्ट्रीशियन, ब्यूटिशियन, फिटर, बेल्डर आदि को बेरोजगार घूमते देखा होगा। उन्होंने कहा कि मैं अपने निजी अनुभव से बता सकता हूं कि मैंने लाखों ऐसे अल्प शिक्षित, अल्प डिग्रीधारी युवाओं को अपने 30 वर्षों के शिक्षक जीवन में अंग्रेजी बोलना सिखा कर उनकी बेरोजगारी दूर की है।

बिहार के प्रख्यात सोशल आंत्रप्रेन्योर डॉ. झा ने कहा कि बिहार जैसे उद्योग विहीन राज्य की बेरोजगारी और गरीबी दूर करने का एकमात्र उपाय है युवाओं का कौशल विकास कर, उन्हें हुनरमंद बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाए। उन्‍होंने कहा कि दरअसल अब वो वक्‍त नहीं रह गया, जब सामान्य डिग्रियां हासिल कर लोग जीवन में सफलता प्राप्त कर लिया करते थे। आज तकनीक का दौर है। इस युग में किसी विशेष कौशल के बिना सफलता तो छोड़िए, जीवन यापन के लिए एक अदद रोजगार हासिल करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हर किसी को अपनी स्किल यानी कौशल बेहतर करने की जरूरत है। आज तमाम तरह के स्किल ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन इनमें स्पोकन इंग्लिश का महत्व सबसे ज्यादा है।

जाने-माने लेखक डॉ. बीरबल झा ने विशेष रूप से स्पोकन इंग्लिश स्किल की चर्चा करते हुए कहा कि आज के दौड़ में अंग्रेजी बोलना सीखकर कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी बेरोजगारी दूर कर सकता है। कला के विभिन्न विधाओं, खेल आदि की भी चर्चा करते हुए बीरबल झा ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में 140 करोड़ आबादी वाले हमारे देश भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। हमने भी यदि चीन, अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया आदि देशों की तरह खेल को एक स्किल समझ इसे अपनाया होता तो हमारे यहां भी खेल व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दृष्टि से भी आय और समृद्धि का साधन होता।

इस सेमिनार में उपस्थित पटना विमेंस कॉलेज में अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रभात झा ने भी सेमिनार को संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रिटिश लिंग्वा के छात्र-छात्राओं द्वारा गीत, नृत्य, संगीत के विभिन्न कार्यक्रमों का भी प्रदर्शन किया। वहीं, दर्जनों प्रतिभागियों ने अपने प्रदर्शन से उपस्थित शिक्षकों और छात्रों का भरपूर मनोरंजन किया।