प्रयागराज, 09 सितम्बर (हि.स.)। मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की अगुवाई वाली खंडपीठ द्वारा हापुड़ घटना में अधिवक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित होने के बाद उत्तर प्रदेश बार कौंसिल ने न्यायिक कार्य से विरत रहने का आह्वान वापस ले लिया है। हालांकि, सरकार के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने का निर्णय लिया है। कौंसिल 16, 22, 29 सितम्बर, 06, 13 और 20 अक्टूबर को अपना अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन करेगी।
यह जानकारी बार कौंसिल के चेयरमैन शिव किशोर गौड़ ने शनिवार को बैठक के बाद दी। उन्होंने कहा कि इस घटना में सरकार की ओर से अधिवक्ताओं को इंसाफ दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की। इसको देखते हुए यह आंदोलन जारी किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 04 अक्टूबर को स्वतः संज्ञान लेकर मामले में सेवानिवृत्त जज को जांच में शामिल करने और अधिवक्ताओं की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश पारित किया।
बार कौंसिल ने अपना पक्ष रखने के लिए एक अर्जी दाखिल की थी। इस पर शनिवार को सुनवाई हुई। कोर्ट का आदेश आने के बाद कौंसिल की बैठक कर न्यायिक कार्य बहिष्कार जारी रखने के आह्वान को स्थगित कर दिया है। हालांकि, यूपी सरकार के खिलाफ विभिन्न तिथियों पर अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा।