स्वतंत्रता दिवस कविता: 15 अगस्त भारतीय इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण तारीख है। भारत को 200 वर्षों के ब्रिटिश शासन से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। इस आजादी को पाने के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। हर साल 15 अगस्त को देश में स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के अधिकांश स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। तो आज हम आपको स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ कविताएं बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप शेयर कर सकते हैं।
स्वतंत्रता दिवस कविता – गुजराती में स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – श्यामलाल गुप्ता पार्षद
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला, वीरों को हर्षाने वाला मातृभूमि
का तन-मन सारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा आषाढ़ित
के बिशन रण में, लक्ष्कार जोश बढ़े क्षण-क्षणे में, कपे शत्रु देख कर मन में,
मिट जाएगा भय संकट सारा, जांदा ऊंचा रहे मारा इस
जांदे के नीचे निर्भय, हो स्वराज जनता का निश्चय, बोलो भारत माता की जय,
आजादी हमारा लक्ष्य है, जांदा ऊंचा रहे मारा
आओ प्यारे वीरों आओ, ना देश-जाति बलिदान दो, मिलकर गाओ
हमारे प्यारे भारत, झंडा ऊँचा रहे हमारा,
शान हमारी न मिटे, चाहे प्राण जाएँ हम, जग में जीत दिखाएँ,
पूरा हुआ मिशन हमारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
शायर – मुहम्मद इक़बाल
सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी, वो गुलसिता हमारा पर्वत वो सबसे ऊंचा, हमसाया आसमान
का वो संतरी हमारा, वो पासबां हमारा गोदी में खेलती हैं, जिसकी हजारों नदियां गुलशन हैं जिनके बांध से, रश्क-ए-जिन्ना हमारा मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिंदी है हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा
नकुल मेहता की कविता
साल 2023 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक्टर नकुल मेहता ने एक खास कविता शेयर की है. इस कविता में नकुल ने राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बात की है. अभिनेता ने वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया।
देशभक्ति हो या राष्ट्रवाद, पहले एक सिक्का या दो नहीं, अलग-अलग सिक्के करो
राष्ट्रवाद को जहां गुमान है ये ज़मीन हमारी है ये मुल्क हमारा है वही
देशभक्ति को अभिमान है, ये ज़मीन हम सबकी है, ये मुल्क हम सबका है उनका,
अगर और उनका भी, जो ऐ और यहीं के फेरीवाले रह गए जिन्होंने
इस मिट्टी को अपनी मुख्य समझ, इसे अपने पास से अलग किया, बात
आने और जाने की भी नहीं है, ऐ तो कहीं ना कहीं से हम सब हैं सिर्फ
टाइमलाइन अलग है
बात वतन से महोब्बती की है, मुझे हक है कि इस देश की सबसे ऊँची मीनार पर चढ़ कर,
मुझे अपनी मातृभूमि से प्यार है
मुझसे कोई हक नहीं,
जुड़कर पूछ रहा हूँ कि क्या तुम्हें अपने वतन से प्यार है
वतनपरस्ती का करने वाले ये दीवान इतना नहीं जानते , मोहब्बत पूछी नहीं जाती जाती जाती है
देशभक्ति और राष्ट्रवाद में फर्क है देशभक्ति
जज्बा है, राष्ट्रवाद ठेकेदारी
देशभक्ति
की गंगा है राष्ट्रवाद नए नए पैकेज में बिकता बोतल का पानी देशभक्ति सीता सी कोमल है राष्ट्रवाद रावण
सा
अंधा, अहंकार से भरा
देशभक्ति बहुरंगी थाली है राष्ट्रवाद यह देशभक्ति का बेस्वाद नमूना है । हम
विविधता में
एकता सिखाते हैं ।