नेपाल में शुक्रवार देर रात आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. 6.4 तीव्रता वाले इस भूकंप से कई इमारतें ढह गई हैं. भूकंप में अब तक 132 लोगों की मौत हो चुकी है. मलबे में दबने से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. जिनका फिलहाल इलाज चल रहा है.
बताया जाता है कि भूकंप से सबसे ज्यादा मौतें रुकुम वेस्ट और जाजरकोट में हुईं. मृतकों की जानकारी रुकुम पश्चिम डीएसपी नामराज भट्टाराई और जाजरकोट डीएसपी संतोष रोक्का ने दी है.
नेपाल में आए भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके झटके दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए. बिहार के पटना और मध्य प्रदेश के भोपाल तक हल्के झटके महसूस किए गए।
यहां बता दें कि जाजरकोट काठमांडू से 500 किलोमीटर दूर है। नेपाल में लगातार भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे हैं. 3 अक्टूबर को भी ऐसा ही हुआ. तब तीव्रता 6.2 मापी गई थी। जाजरकोट के एक व्यक्ति ने बताया कि हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे. तभी बिस्तर हिल गया. ऐसा लगा जैसे कोई झूला झूल रहा हो। डर के मारे बाहर भागा. कुछ ही मिनटों में मेरा घर ढह गया.
नेपाल और बिहार में लोग आज भी 2015 में आए भूकंप को याद कर सिहर उठते हैं। उस विनाशकारी भूकंप में 12000 लोग मारे गए थे. दस लाख घर जमींदोज हो गये।
क्यों आते हैं भूकंप
हिमालय पर्वत श्रृंखला भूकंप के खतरों से जूझ रही है। इसमें नेपाल भी शामिल है. यहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं। जलवायु परिवर्तन ने इस खतरे को बढ़ा दिया है. ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं. यह हिमालय श्रृंखला की पर्वतीय ढलानों को प्रभावित करता है। वर्ष 2000 के बाद हर साल 500 से 600 झटके महसूस किये जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक हिमालय के 20 फीसदी ग्लेशियर पिघल सकते हैं. इससे स्थिति और गंभीर हो सकती है.