मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक हो सकता है। एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है। डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया है कि सिज़ोफ्रेनिया के रोगियों को अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत का खतरा चार गुना अधिक होता है, जबकि अवसाद जैसी अन्य मानसिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों में यह जोखिम दोगुना होता है।
अध्ययन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोग कम उम्र में ही गंभीर हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, जिसका उनके जीवन प्रत्याशा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस शोध में 18 से 90 वर्ष की आयु के डेनमार्क निवासियों की मृत्यु के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 2010 के दौरान 45 हजार से अधिक मौतें दर्ज की गईं। इन मौतों में से 6,002 को अचानक हृदयाघात के कारण हुई मौतों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिनमें से मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों में यह संख्या 2,319 थी।
6.5 गुना अधिक जोखिम
शोध में पाया गया कि मानसिक रूप से बीमार मरीजों में दिल के दौरे से अचानक मौत का जोखिम सामान्य आबादी के मुकाबले 6.5 गुना अधिक था। सिजोफ्रेनिया के मरीजों में यह जोखिम 4.5 गुना अधिक था, जबकि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों में यह तीन गुना तक देखा गया। इसके अलावा डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में यह जोखिम दोगुना पाया गया।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा सामान्य आबादी की तुलना में कम होती है। उदाहरण के लिए, मानसिक बीमारी से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति 10 साल और जी सकता है, जबकि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए यह समय 14 साल हो सकता है। अध्ययन से यह भी पता चला कि मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों में दिल का दौरा पड़ने का संबंध मृत्यु के अन्य कारणों से भी है। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि मानसिक रोगियों में अस्वस्थ जीवनशैली और दवाओं के दुष्प्रभाव हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।