किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन: किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाना बहुत जरूरी होता है, चाहे वह घर हो, दुकान हो या जमीन। क्योंकि, इससे कब्जे की आशंका या विवाद की स्थिति में मकान मालिक का पक्ष मजबूत होता है। हालांकि, रेंट एग्रीमेंट के साथ-साथ पुलिस वेरिफिकेशन भी बहुत जरूरी है। लेकिन, कई बार लोग लीज एग्रीमेंट तो बनवा लेते हैं, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवाते। ऐसे में अगर किराएदार किसी गलत गतिविधि में शामिल पाया जाता है, तो मकान मालिक पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसलिए, यह जानना बहुत जरूरी है कि घर या दुकान किराए पर देने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन क्यों जरूरी है।
पुलिस को सूचित करना ज़रूरी है
हाउसिंग डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, मकान या दुकान में किराएदार द्वारा की गई किसी भी अवैध गतिविधि के लिए मकान मालिक कानूनी रूप से जिम्मेदार होता है, इसलिए किराएदार का पुलिस सत्यापन बहुत जरूरी है। मकान किराए पर देने से पहले किराएदार की निजी और पेशेवर जानकारी पता करना मकान मालिक की जिम्मेदारी है।
किराएदार का पुलिस सत्यापन रेंट एग्रीमेंट का अहम हिस्सा है। इसमें किराएदार की सारी जानकारी दस्तावेजों के साथ नजदीकी पुलिस स्टेशन को देनी होती है। याद रखें कि पुलिस सत्यापन अब वैकल्पिक नहीं रह गया है, क्योंकि देश भर के सभी प्रमुख जिलों में स्थानीय निकायों द्वारा किराएदारों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
गलती किराएदार की है, मकान मालिक को कितनी सजा मिलेगी?
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में एक प्रावधान है जिसके तहत किराएदार द्वारा किए गए अपराध या गलत काम के कारण मकान मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसमें साधारण कारावास या 2000 रुपये का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। अन्य मामलों में अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा का प्रावधान है।