मुंबई: विशेषकर चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति बढ़ते रुझान के कारण वैश्विक कच्चे तेल बाजार में व्यवधान आने की संभावना है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में नई कारों की बिक्री का चालीस प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रिक कारों का है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह हिस्सेदारी लगभग बीस प्रतिशत है, जो कच्चे तेल और गैस उत्पादकों के लिए समस्याएँ पैदा कर सकती है।
हाल के वर्षों में कच्चे तेल की बढ़ती मांग का अधिकांश हिस्सा चीन से आया है और प्रदूषण भी बढ़ा है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विश्व ऊर्जा आउटलुक में, इलेक्ट्रिक वाहनों से 2030 तक कच्चे तेल की दैनिक मांग में 6 मिलियन बैरल की कमी आने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा रुझानों और नीतियों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि 2030 तक कारों की कुल वैश्विक बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
वैश्विक स्तर पर सड़कों पर चलने वाली कुल विद्युतीकृत कारों में से पचास प्रतिशत चीनी सड़कों पर हैं। 2030 तक चीन में 70 प्रतिशत नई कारें इलेक्ट्रिक होंगी।
चीन में पवन और सौर ऊर्जा क्षमता में भारी वृद्धि देखी जा रही है। हालाँकि, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ बिजली की माँग भी बढ़ रही है, जिसके कारण कोयला आधारित बिजली उत्पादन भी बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि कोयले से प्रदूषण बढ़ता रहेगा। बिजली की मांग अपेक्षा से अधिक तेजी से बढ़ रही है।