Toll Tax Free: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे ने हल्के वाहन चालकों को बड़ी राहत दी है. मुंबई में एंट्री पॉइंट पर सभी पांच टोल बूथों पर हल्के मोटर वाहनों (एलएमवी) को टोल टैक्स नहीं देना होगा. राज्य कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में बड़ा ऐलान किया गया. यह फैसला आज (14 अक्टूबर 2024) रात 12 बजे से लागू हो जाएगा. विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले इसे महायुति सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर टोल में छूट दी है.
मुंबई के सभी पांच टोल से शहर में प्रवेश करने वाले हल्के वाहनों को आज रात 12 बजे टोल में पूरी छूट मिल जाएगी। वहीं, आज सुबह हुई कैबिनेट बैठक को शिंदे सरकार के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी कैबिनेट माना जा रहा है।
मुंबई में प्रवेश पर नहीं लगेगा टोल टैक्स
सरकार के इस ऐलान के बाद मुंबई के सभी 5 टोल बूथ पर टैक्स नहीं देना होगा. ये हैं दहिसर टोल प्लाजा, मुलुंड (एलबीएस मार्ग), मुलुंड (ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे), वाशी में सायन-पनवेल हाईवे, ऐरोली क्रीक ब्रिज. फिलहाल इन टोल से गुजरने पर 45 रुपये चुकाने पड़ते हैं. हल्के वाहनों में वो वाहन शामिल हैं, जिनमें 10 या उससे कम लोग बैठकर सफर कर सकते हैं. इसमें स्कूटर, बाइक, कार, ऑटो रिक्शा, मिनी बस जैसे वाहन शामिल हैं. वहीं शिंदे सरकार के इस फैसले को वोट बैंक को लुभाने का जुआ कहा जा रहा है. इसकी वजह ये है कि ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. राज्य में कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है.
वाहन चालकों को बचेगा इतना पैसा
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के दादाजी भुसे ने कहा कि मुंबई में प्रवेश करते समय दहिसर टोल, आनंद नगर टोल, वैशाली, ऐरोली और मुलुंड समेत 5 टोल प्लाजा हैं। इन टोल पर 45 रुपये और 75 रुपये वसूले जाते हैं। यह नियम 2026 तक लागू था। करीब 3.5 लाख वाहन आते-जाते हैं। इनमें करीब 70,000 भारी वाहन और 2.80 लाख हल्के वाहन शामिल हैं। सरकार के इस फैसले से हल्के वाहन चालकों को काफी फायदा होगा।
विपक्ष पर हमला
राज्य सरकार ने जैसे ही टोल फ्री करने का ऐलान किया, विपक्ष हमलावर हो गया। उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार चुनाव से पहले ही हताश है। उन्होंने आगे दावा किया कि एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार संभाल नहीं पा रही है। ऐसे में लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया है।