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Re-Exam Policy: फाइनल ईयर के छात्रों को लेकर इस यूनिवर्सिटी ने लिया बड़ा फैसला, अब फेल हुए छात्रों का साल नहीं होगा खराब, जानें कैसे

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AKTU New Re-Exam Policy: यूपी की डॉ. अब्दुल काम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने अपने अंतिम वर्ष की परीक्षा में किसी भी विषय में फेल होने वाले छात्रों को बड़ी राहत देने की घोषणा की है। विश्वविद्यालय ने घोषणा की है कि अब फेल होने वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने के लिए एक साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। छात्र उसी साल कंप्यूटर आधारित कैरीओवर परीक्षा देकर उसी साल अपना कोर्स पूरा कर सकेंगे।

प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे

यह परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों की प्रक्रिया पर आधारित होगी। इस कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया के कारण न केवल परीक्षा प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि कुछ ही दिनों में परिणाम जारी होने से छात्रों का साल भी बर्बाद होने से बच जाएगा। आंकड़ों की बात करें तो हर साल बड़ी संख्या में छात्र कैरीओवर परीक्षा देते हैं। इनकी वजह से विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग पर काफी दबाव रहता है। ऑनलाइन परीक्षा होने से विभाग का बोझ भी कम होगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार होगा पेपर

इस योजना पर काम शुरू हो चुका है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रक्रिया के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से पेपर तैयार किया जाएगा। फिलहाल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ इस काम में लगे हुए हैं। एआई की मदद से हर छात्र से अलग-अलग सवाल पूछे जाएंगे, जिससे नकल की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

यह प्रणाली प्रत्येक सेमेस्टर में लागू की जाएगी

AKTU प्रशासन का कहना है कि कंप्यूटर आधारित कैरीओवर परीक्षा की यह व्यवस्था सबसे पहले अंतिम वर्ष में लागू की जाएगी। इसके बाद इसे बाकी सेमेस्टर में भी शुरू किया जाएगा। इस काम के लिए एक एजेंसी का चयन किया जाएगा और उसकी मदद ली जाएगी जो पेपर बनाने से लेकर सवाल सेट करने तक हर काम में मदद करेगी।

छात्रों को लाभ होगा

इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद फाइनल ईयर के छात्रों को काफी फायदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक फाइनल ईयर में फेल होने वाले छात्रों को संबंधित विषय का पेपर देने के लिए अगले साल का इंतजार करना पड़ता था। इससे उनका एक साल बर्बाद हो जाता था। साथ ही उनका प्लेसमेंट भी रुक जाता था।

मूल्यांकन में बर्बाद होने वाला समय बचेगा

पूरी परीक्षा प्रक्रिया लंबी होने के कारण समय की भी बर्बादी होती थी। प्रश्नपत्र तैयार करने, परीक्षा आयोजित करने और उसका मूल्यांकन करने में एक से दो महीने लग जाते थे। साथ ही इन परीक्षाओं के कारण अन्य परीक्षाएं भी देरी से होती थीं। लेकिन अब हमें इससे राहत मिलेगी।