जीवन हर पल, हर घंटे, हर मोड़ पर होने वाले समृद्ध और कड़वे अनुभवों से कुछ सीखने का नाम है। वे कहते हैं कि सीखना ही जीवन है और सीखना ही जीवन है। ऐसा भी कहा जाता है कि सीखने की चाहत कभी बूढ़ी नहीं होती, जिस तरह सीखने की कोई उम्र नहीं होती, उसी तरह जीवन के अनुभव की भी कोई सीमा नहीं होती। अनुभव किसी बंद कमरे या कक्षा में नहीं सीखे जाते बल्कि वे जीवन के वास्तविक आधार हैं। ये ऐसी घटनाएँ हैं जो हम अपने व्यवहार और दूसरों के हमारे प्रति व्यवहार से सीखते हैं। मनुष्य का जन्म सीखने के लिए हुआ है और वह जीवन भर सीखता रहता है। ये सभी शिक्षाएँ उसकी परिस्थितियों के अनुसार प्राप्त अनुभवों का परिणाम हैं। बेशक किताबों के अध्ययन से ज्ञान और जानकारी बढ़ती है, इसके प्रशिक्षण का समय व्यक्ति के स्कूली जीवन से शुरू होकर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों और विशेषज्ञता, प्रमाणपत्र और डिग्री लेने तक चलता है। लेकिन जीवन की डिग्री के लिए मनुष्य के सच्चे और वास्तविक साथी उसके अनुभव हैं। अनुभव एक सच्चे, मेहनती और संपूर्ण शिक्षक की तरह हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
आम घरों में गलती पर मना करना या समझाना बड़ों का अनुभव होता है, जो हमें गलत रास्ते पर चलने से पहले ही रोक देता है। उस समय उनका निषेध हमें बुरा लगता है, लेकिन समय बीतने के साथ अनुभव की जीत होती है। आत्मविश्वास सीखने के अनुभवों से भी आता है। अनुभव एक कभी न ख़त्म होने वाली घटना है जिसके माध्यम से व्यक्ति आत्मविश्वास, निर्णयों में दृढ़ता के साथ एक सफल व्यक्ति बनता है। अनुभवों के बिना जीवन अकल्पनीय है। पारिवारिक रिश्ते और दोस्त हमें सकारात्मक अनुभव देकर जीवन को बदल देते हैं। अनुभव के बिना, व्यापारी, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, चाहे वे कितने भी योग्य क्यों न हों, सफल नहीं हो सकते।
अनुभवों की एक ख़ासियत यह है कि बुरे अनुभव भी बहुत कुछ सही सिखाते हैं। ये हमारे जीवन के असली शिक्षक हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि अनुभव वह कुंजी है जो हर दरवाजे का ताला खोलती है। अनुभव के साथ हम जीवन की कठिनाइयों का डटकर सामना करने में सक्षम होते हैं। दिन और रात के अनुभव से परिवर्तन के नियम निश्चित हो जाते हैं कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता, चाहे वह सुख हो या दुःख।
काली रात जो दुःख की कोई बात नहीं कहती! प्रकाश सुबह की सांस की तरह बहने वाला नहीं है। अनुभवों के माध्यम से जीवन की वास्तविकताओं को स्वीकार कर मनुष्य बहुत कुछ सीखता है और सीखता रहता है। व्यक्ति की सीखने की क्षमता जितनी बढ़ती है, उसका जीवन उतना ही बढ़ता और विकसित होता है। ऐसा करके ही वह पहाड़ों की चोटियों तक पहुंचने में कामयाब होता है। सीखने की चाहत से ही बुलंदियों को छुआ जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि सीखना ही जीवन है और सीखना ही जीवन है। यह अनुभूति या अनुभूति ही वह स्थायी पूँजी है जिसका उपयोग हर उचित अवसर पर जीवन को सफल बनाने में किया जा सकता है।