मेरठ, 14 सितम्बर (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि भाषा अपनी संस्कृति, आचरण और व्यवहार को लेकर चलती है। सरलता के नाम पर किसी भाषा की संस्कृति से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है। मातृभाषा के नाम पर हिंदी के साथ स्वच्छंदता पूर्ण व्यवहार करते हैं। हमें हिंदी की शुद्धता के प्रति सचेत होना चाहिए। प्राचीन भारत में भाषाओं का संघर्ष नहीं रहा। यूरोप की संकल्पना भाषाई संघर्ष पर आधारित है किंतु भारत की नहीं। सामान्य जीवन में हमें अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही करने चाहिए, इससे हमारी पहचान निर्धारित होती है और हिंदी को मातृभाषा के रूप में गौरव मिलता है।
हिन्दी दिवस पर शनिवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय हिन्दी एवं आधुनिक भाषा विभाग में राजभाषा हिंदी: तकनीक और अनुवाद विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि भाषा की कोठरियां नहीं हुआ करतीं। आजादी से पहले सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को एकमत से अपनाया, लेकिन राजभाषा बनते समय यह मुद्दा विरोध का मुद्दा बना और भाषा के राजभाषा, संपर्क भाषा, राष्ट्रभाषा आदि कई रूप बने। इसी विरोध का नतीजा यह रहा कि 15 साल का हिंदी प्रशिक्षण समय हिंदी को दिया गया। वही हिंदी के लिए सबसे बड़ी अड़चन बना। बाद में हिंदी भाषी भी हिंदी को पहचान न सके। हिंदी की शक्ति और सामर्थ्य से मीडिया दौड़ा है। तकनीक के आने से हिंदी में रोजगार के नए क्षेत्र सृजित हुए हैं।
प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राजेंद्र सिंह ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास का मुख्य आधार भाषा रही है। भारत में सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी बोलने वालों की है। किसी भी भाषा का विकास उसमें रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा होता है और हिंदी में इसकी पर्याप्त संभावनाएं हैं। डॉ. अमरनाथ अमर ने कहा कि हिंदी के कई रूप हैं, साहित्य पठन-पाठन, मीडिया और व्यवहार में हिंदी अनेक रूपों में प्रयोग की जाती है। हिंदी शब्दकोश में विविधता है अनेक बोली और भाषाओं और विदेशी भाषाओं के शब्दों को हिंदी ने ग्रहण किया है। अनुवाद भाषा के प्रचार प्रसार का मुख्य माध्यम है। आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी अनुवाद के पद हैं। दूरदर्शन में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं।
कार्यक्रम समन्वयक और विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और लिपि पर महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी में लगातार अनुवाद कार्य हो रहे हैं। रोजगार के क्षेत्र में भी अनुवाद ने नए क्षेत्र से हिंदी भाषा को परिचित कराया है। तकनीक के साथ जुड़कर हिंदी समसामयिक संदर्भों से जुड़ती है। हिंदी में लगातार नए शब्दकोश और सॉफ्टवेयर निर्माण के कार्य हो रहे हैं। इंटरनेट ने भी ट्रांसलेशन के द्वारा हिंदी में काम करना सुगम बनाया है। भारत सरकार भी तकनीक और हिंदी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अनुवादिनी आदि सॉफ्टवेयर ने भारतीय भाषाओं में अनुवाद को सरल बनाया है। वैश्विक स्तर पर हिंदी में लगातार नए कार्य हो रहे हैं और हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है।
कार्यक्रम में शुक्रवार को आयोजित निबंध लेखन और आशु भाषण प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की एमए सत्र 23-24 में सर्वाेच्च अंक प्राप्तकर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर के बीए की परीक्षा में सर्वाेच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रो. केके शर्मा, प्रो. विघ्नेश कुमार, डॉ. रविंद्र प्रताप राणा, डॉ. प्रवीण कटारिया, डॉ. अनुज अग्रवाल, डॉ. आरती राणा, डॉ. यज्ञेश कुमार, डॉ. विद्यासागर सिंह, डॉ. निर्देश, डॉ. सुमित आदि उपस्थित रहे।