प्रयागराज, 20 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट परिसर में वकीलों के लिए बन रहे चैम्बर व पार्किंग निर्माण के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने फिजूल की याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता वकीलों को फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने याचियों पर 40 हजार का हर्जाना लगाया, हालांकि माफी मांगने पर माफ कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ठेकेदारों और बिल्डरों पर अनुचित दबाव बनाने के लिए तुच्छ जनहित याचिकाएं दायर करना चलन बन गया है।
न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी व न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने संतोष कुमार पांडेय की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया कि एलएंडटी कम्पनी ने खनन विभाग से अनुमति लिए बिना तथा पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना मिट्टी की खुदाई की है। वहीं, राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि मिट्टी खोदने के लिए 25 अक्टूबर 2021 को ऑनलाइन आवेदन किया गया था, जिस पर मंजूरी मिल गई है। परियोजना को खनन विभाग से पूर्व में मंजूरी मिल चुकी है और पर्यावरण मंजूरी प्रमाणपत्र भी है। मंजूरी के बाद ही मिट्टी की खुदाई की गई। अदालत को यह भी बताया कि वर्तमान याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने स्वयं 2022 में इसी प्रकार की याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान जनहित याचिका पिछली जनहित याचिका के खारिज होने के दो महीने बाद दिसम्बर 2022 में दायर की गई थी। पिछली याचिका आदित्य सिंह ने दाखिल की थी, जो इस याचिका में वकील हैं।
कोर्ट ने कहा कि तथ्य को छिपाते हुए उसी राहत के साथ एक और याचिका दायर करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। याची का आचरण सही नहीं है और वह इस अदालत में साफ हाथों से नहीं आया है। याचिका किसी के इशारे पर दायर की गई है, ताकि वकीलों के लिए चैम्बर व पार्किंग के निर्माण को रोका जा सके। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया।