वैसे तो इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और दवाइयों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के ज़रिए टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीज़ को ठीक करने का दावा किया है। इस घटना को चिकित्सा विज्ञान में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है, और इसे दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला बताया गया है। यह खोज ‘तियानजिन फ़र्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल’ और ‘पेकिंग यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं की एक टीम ने की है। इस अध्ययन के नतीजे पिछले हफ़्ते ‘सेल’ जर्नल में प्रकाशित हुए थे।
टाइप 1 मधुमेह क्या है
टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर देता है। जिसके कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है।
25 वर्षीय लड़की मधुमेह मुक्त हुई
चीनी अख़बार ‘द पेपर’ के अनुसार, 25 वर्षीय महिला एक दशक से भी ज़्यादा समय से टाइप 1 डायबिटीज़ से पीड़ित थी। सेल ट्रांसप्लांट के लगभग 2.5 महीने बाद वह इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो गई है।
स्टेम सेल प्रत्यारोपण क्या है?
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में इंसुलिन बनाने वाले अग्नाशय की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ व्यक्ति की कोशिकाओं से बदला जाता है। पहले इसके लिए डोनर की जरूरत होती थी, जो इस थेरेपी की सबसे बड़ी खामी थी। लेकिन अब यह प्रक्रिया आसान हो गई है। अब आइलेट्स से निकले रासायनिक रूप से प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल का इस्तेमाल ट्रांसप्लांट के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि इसमें सिर्फ आधे घंटे का समय लगता है।
इन बीमारियों में भी फायदेमंद
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से न केवल टाइप 1 डायबिटीज़ बल्कि कुछ प्रकार के कैंसर का भी इलाज हो सकता है। यह भविष्य में कई प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।