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सुपरबग्स: दुनियाभर में अब इस नई बीमारी का खतरा, 2050 तक 4 करोड़ मौतों का खतरा

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सुपरबग से 2050 तक 40 मिलियन लोगों की मौत: कोरोना के बाद दुनिया भर में नई बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। सुपरबग की बीमारी को लेकर एक रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके मुताबिक अगले 25 सालों में इस नई बीमारी से दुनियाभर में करीब 4 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी। अगर अभी से इस बीमारी पर काबू नहीं पाया गया तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुपरबग को एमआर नाम दिया गया है, 1990 से 2021 के बीच इन सुपरबग ने 10 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली।

सुपरबग क्या हैं?

सुपरबग बैक्टीरिया या रोगजनकों का एक समूह है, जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गया है, जिससे उनका इलाज करना बहुत मुश्किल हो गया है।

 

सुपरबग के लक्षण

सुपरबग बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी हो सकते हैं। इस बीमारी में अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। अधिक खतरनाक लक्षणों में दस्त, बुखार, वजन घटना, श्वसन पथ में रक्तस्राव, सफेद रक्त कोशिकाओं में वृद्धि, गुर्दे की विफलता शामिल हैं। इसके अलावा ठंड लगना, बुखार, मुंह में छाले, सुस्ती, त्वचा का लाल होना और सूजन जैसे सामान्य लक्षण भी देखे जाते हैं।

दवाइयां भी काम नहीं करेंगी

रिसर्च के मुताबिक, बीमारी इतनी गंभीर होगी कि इस पर दवाओं, बैक्टीरिया और एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होगा और सुपरबग पर इसका असर नहीं होगा। वहीं, राहत की खबर यह भी आई है कि हाल ही में नवजात शिशुओं में यह संक्रमण होने की संभावना कम हो गई है। अगर यह बीमारी बच्चों में फैल जाए तो इसका इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। 1990 से 2021 तक 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में मृत्यु दर 80 प्रतिशत बढ़ गई है। 2021 में यह आंकड़ा दोगुना हो गया.

2025 तक 4 करोड़ लोग मर जायेंगे

सुपरबग के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2050 तक कई गुना बढ़ने की संभावना है। जिससे मरने वालों की संख्या 67 फीसदी तक बढ़ सकती है. अगर लोगों को इस खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए अभी जरूरी कदम उठाए जाएं तो मरने वालों की संख्या कम की जा सकती है। एहतियाती उपायों से 2050 तक 9.2 करोड़ लोगों की जान बचाई जा सकती है। गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण रिपोर्ट 204 देशों और क्षेत्रों के 52 करोड़ लोगों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड से तैयार की गई थी।