नई दिल्ली: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। अस्सु मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस त्यौहार को भक्त और भी अधिक उत्साह के साथ मनाते हैं। शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान भी करते हैं। इसके बाद वे विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में शुभ फल मिलते हैं। साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्यों में आने वाली बाधाओं से भी राहत मिलती है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, जिसे अमृत काल कहा जाता है। इसलिए, इस त्योहार की रात को चंद्रमा के सामने खीर रखी जाती है (शरद पूर्णिमा खीर समय) और अगले दिन इसका सेवन किया जाता है। इससे व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है। क्या आप जानते हैं शरद पूर्णिमा का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है? अगर आप नहीं जानते तो आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में।
यही कारण है
पंचांग के अनुसार हर वर्ष अस्सु मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसलिए पूर्णिमा की रात को चंद्रमा के सामने खीर रखी जाती है। इसका सेवन करने से साधक को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति आती है। इसके अलावा इस दिन दीपक जलाने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इन्हीं सब कारणों से शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ समय
पंचांग के अनुसार अस्सु मास की पूर्णिमा 16 अक्टूबर को रात 08:40 बजे से शुरू होगी. इसके साथ ही यह तिथि अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का त्योहार 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024 date) को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा शाम 05 बजकर 05 मिनट पर उदय होगा.
शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त (शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त)
ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:42 बजे से प्रातः 05:32 बजे तक
विजय मुहूर्त- 02:01 PM से 02:47 PM तक
शाम का समय – शाम 05:50 बजे से शाम 06:15 बजे तक
निशिता मुहूर्त- 17 अक्टूबर, रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक