पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल को लेकर विवाद तेज हो गया है। कांग्रेस ने मांग की है कि उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होना चाहिए था, जहां उनका स्मारक बनेगा। हालांकि, गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार डॉ. मनमोहन सिंह के कद के अनुरूप उनका स्मारक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों के अनुसार, मनमोहन सिंह का स्मारक राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनाया जाएगा, जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मारक भी स्थित है।
राष्ट्रीय स्मृति स्थल: क्या है सरकार की नीति?
राष्ट्रीय स्मृति स्थल का प्रस्ताव 2013 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था। इसके तहत सभी VVIP नेताओं, जिनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल हैं, के लिए समाधि स्थल राजघाट के पास बनाने की बजाय राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनाए जाने का निर्णय लिया गया था।
इस फैसले का उद्देश्य
- राजघाट परिसर में जगह की कमी।
- समाधि स्थलों के लिए एक केंद्रीयकृत स्थान की आवश्यकता।
- राजघाट के पास पहले से स्थित समाधि स्थलों के लिए बड़ी भूमि का उपयोग।
राष्ट्रीय स्मृति स्थल राजघाट से 1.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह ज्ञानी जैल सिंह की समाधि के पास है और वहां सभी VVIP नेताओं के लिए स्थान आरक्षित है।
कांग्रेस का ऐतराज
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर क्यों किया गया। पार्टी का तर्क है कि उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होना चाहिए था, जहां स्मारक बनाया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं ने इस संबंध में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी बात की है।
नवजोत सिंह सिद्धू और संजय सिंह जैसे नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधते हुए इसे राजनीति करार दिया। सिद्धू ने कहा, “जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है, तो उसके साथ सारे मतभेद खत्म हो जाने चाहिए।”
राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर समाधि स्थलों का विवरण
राजघाट परिसर और आसपास की भूमि पर पहले ही कई बड़े नेताओं के समाधि स्थल बने हुए हैं।
- महात्मा गांधी (राजघाट): 44.35 एकड़।
- जवाहरलाल नेहरू (शांतिवन): 52.6 एकड़।
- इंदिरा गांधी (शक्ति स्थल): 45 एकड़।
- लाल बहादुर शास्त्री (विजय घाट): 40 एकड़।
- राजीव गांधी (वीर भूमि): 15 एकड़।
- चौधरी चरण सिंह (किसान घाट): 22.56 एकड़।
इसके अलावा, ज्ञानी जैल सिंह, चंद्रशेखर, और केआर नारायणन जैसी हस्तियों की समाधियां भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
मनमोहन सिंह का योगदान: एक नजर
डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था को 1991 के आर्थिक सुधारों के जरिए वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई देने का श्रेय जाता है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) जैसे कानून उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाते हैं।
- उनके कार्यकाल में शिक्षा का अधिकार और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कई योजनाएं लागू हुईं।
- डॉ. सिंह का कार्यकाल कांग्रेस के किसी प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबा रहा।
समाधियों के लिए भूमि आवंटन का इतिहास
2013 के प्रस्ताव से पहले, VVIP समाधियों के लिए अलग-अलग भूमि आवंटित की जाती थी।
- राजघाट परिसर: महात्मा गांधी।
- शांतिवन: जवाहरलाल नेहरू।
- विजय घाट: लाल बहादुर शास्त्री।
- शक्ति स्थल: इंदिरा गांधी।
- वीर भूमि: राजीव गांधी।
राष्ट्रीय स्मृति स्थल का उद्देश्य भविष्य में एक केंद्रीकृत समाधि स्थल के रूप में उपयोग करना था।