अब मरीजों को ब्रेन कैंसर का पता लगाने के लिए दर्दनाक प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसके जरिए महज 60 मिनट में इस जानलेवा बीमारी का पता लगाया जा सकेगा।
ब्रेन कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे लाखों लोग पीड़ित हैं। हालांकि, जल्द ही इस बीमारी की पहचान आसानी से की जा सकेगी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके जरिए खून की एक बूंद की जांच (ब्लड टेस्ट) करके सिर्फ एक घंटे में ब्रेन कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इस नई तकनीक को ‘लिक्विड बायोप्सी’ नाम दिया गया है।
पहले ब्रेन कैंसर का पता लगाने के लिए सर्जिकल बायोप्सी जैसी जटिल और दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें खून के एक छोटे से नमूने की जांच की जाती है। इस नमूने में ब्रेन कैंसर के खास मार्करों की तलाश की जाती है। अगर ये मार्कर मौजूद हैं, तो इसका मतलब है कि व्यक्ति को ब्रेन कैंसर हो सकता है।
यह तकनीक कैसे काम करती है?
इस तकनीक में वैज्ञानिक रक्त परीक्षण में एक्सोसोम नामक छोटे कणों की तलाश करते हैं। ये एक्सोसोम कैंसर कोशिकाओं से निकलते हैं और इनमें विशिष्ट मस्तिष्क कैंसर मार्कर होते हैं। वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार की चिप विकसित की है जो इन मार्करों से चिपक जाती है। इस तरह वे यह पता लगाने में सक्षम हैं कि किसी व्यक्ति को मस्तिष्क कैंसर है या नहीं।
इस तकनीक के लाभ
* तेज़ और सटीक: यह तकनीक बहुत तेज़ और सटीक है। रक्त परीक्षण सिर्फ़ एक घंटे में पूरा हो जाता है और इसके नतीजे भी बहुत सटीक होते हैं।
* कम दर्दनाक: यह तकनीक सर्जिकल बायोप्सी की तुलना में बहुत कम दर्दनाक है। इसमें केवल रक्त का एक छोटा सा नमूना लेना होता है।
* सस्ता: यह तकनीक सर्जिकल बायोप्सी की तुलना में बहुत सस्ती है।
आगे बढ़ने का रास्ता
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक ब्रेन कैंसर के इलाज में क्रांति ला सकती है। इस तकनीक के जरिए ब्रेन कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकेगा और उसका इलाज भी जल्दी शुरू किया जा सकेगा। इससे मरीजों के बचने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।