कमजोर वैश्विक परिस्थितियों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच सरकार और आरबीआई को आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए ठोस और कठिन फैसले लेने की जरूरत पड़ सकती है। आइए समझते हैं कि क्या इसका असर भारत पर पड़ेगा?
ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत सरकार अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने के लिए एक्शन मोड में आ गई है। मौजूदा भूराजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार लगातार वैश्विक घटनाक्रम पर नजर रख रही है और जरूरत पड़ने पर जरूरी कदम उठाने की भी तैयारी कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार आयात-निर्यात गतिविधियों को सुचारू रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, ताकि देश की आर्थिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
यह सरकारी योजना है
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषकर आयात और निर्यात भारत के लिए आर्थिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैश्विक तनाव के कारण किसी भी व्यापार व्यवधान से भारत को नुकसान हो सकता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ईरान और इजराइल के बीच तनाव का भारतीय व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिए व्यापार मार्गों और नीतियों को स्थिर करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अगर स्थिति बिगड़ती है तो सरकार को आर्थिक नीतियों में बदलाव कर व्यावसायिक गतिविधियों को स्थिर करने के लिए कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं।
क्या भारत खतरे में है?
वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव न केवल राजनीतिक स्थितियों बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करते हैं। ईरान और इजराइल के बीच तनाव की स्थिति में ऊर्जा आपूर्ति में उतार-चढ़ाव हो सकता है, खासकर तेल की कीमतों में, जिसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अगर वैश्विक हालात बिगड़े तो भारत को आर्थिक मोर्चे पर कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।
आरबीआई अहम भूमिका निभाएगा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी मौजूदा वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों पर बारीकी से नजर रख रहा है। आगामी मौद्रिक नीति बैठक में आरबीआई वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थितियों के विश्लेषण सहित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेगा। आरबीआई देश के विकास और समृद्धि को ध्यान में रखकर जरूरी नीतिगत फैसले लेता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्रीय बैंक अगली बैठक में क्या फैसला लेता है.