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दिवाली 2024: हिंदू धर्म में दीपक जलाने का क्या है महत्व? पंडित जी से जानिए क्या कहते हैं शास्त्र

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दीया रोशनी का महत्व: चूंकि दिवाली का त्योहार एक बार फिर हमारे दरवाजे पर है, आकाश और पृथ्वी दोनों दीयों की चमक से जगमगा रहे हैं। आज दीपक जलाने का मतलब सिर्फ घर को रोशन करना नहीं है, बल्कि घर के अंदर के अंधेरे को भी दूर करना है। भारतीय संस्कृति में दीपक जलाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां दीपक न सिर्फ रोशनी का जरिया है, बल्कि अपनी प्रार्थनाओं को भगवान तक पहुंचाने का भी जरिया है। आइए जानते हैं दीपक जलाने का महत्व और क्या कहते हैं शास्त्र ज्योतिषाचार्य शशि शेखर त्रिपाठी से। 

दीप ज्योति: सूर्य ज्योति: नमस्ते

प्रत्येक अनुष्ठान की शुरुआत दीपक जलाने से होती है, जिसमें दीपक को भगवान और भक्त के बीच संवाद का माध्यम माना जाता है। अग्नि देवता का प्रतीक दीपक भक्त की भावनाओं और इच्छाओं को देवताओं तक पहुंचाता है। ऋग्वेद में उल्लेख है, “अग्निदेव! “अगर आपकी राह धुँधली और कठिन है, लेकिन जैसे ही आप सामने आते हैं, अंधेरा अपने आप गायब हो जाता है।”

मन का अंधकार और दीपक का महत्व
मन के अंधकार को दूर करने के लिए दीपक भी महत्वपूर्ण है, जो पृथ्वी, अंतरिक्ष और रसातल; सुबह, दोपहर और शाम; बचपन और जवानी तथा बुढ़ापे से जुड़े अंधकार को दूर करने में सहायक।

सिर्फ दिवाली पर ही घर के हर कोने में रोशनी जरूरी
नहीं है बल्कि हर रात कुछ देर के लिए पूरे घर में रोशनी करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जहां भी दीपक जलाया जाता है वहां देवी लक्ष्मी का आगमन होता है और वह स्थान शुद्ध हो जाता है। 

अमावस्या और दिवाली का महत्व
दिवाली का त्योहार विशेषकर अंधेरे में प्रकाश का त्योहार है। इस दिन सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला में होते हैं और पृथ्वी पर उनकी रोशनी कम होती है। ऋषि-मुनियों के अनुसार चंद्रमा और सूर्य के बीच असंतुलन के कारण रात में दीपक जलाने की परंपरा शुरू हुई। अमावस्या पर दीपक जलाने से वातावरण संतुलित रहता है और चारों ओर ऊर्जा का संचार होता है। कार्तक माह को दीप जलाने का महीना माना जाता है, जिसमें हर घर में दीपक जलते नजर आते हैं।

दीपक का उचित स्थान एवं आसन
– पूजा स्थान पर दीपक रखने से पहले उसका स्थान ठीक से बनाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार दीपक को चावल, गोबर या धातु से बने आसन पर रखना उचित माना गया है। संदेशवाहक के रूप में कार्य करने वाले दीपक का सम्मान करना हमारे कर्तव्य का हिस्सा है। धर्मग्रंथों में कहा गया है, “आपको उसका अनादर नहीं करना चाहिए जो आपकी प्रार्थनाएं भगवान तक पहुंचाता है।”

-आइए दिवाली पर हम अपने घरों में दीपक जलाकर न केवल शारीरिक अंधकार बल्कि मन में छिपे अंधकार का भी समाधान करें।