फैटी लिवर: शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जमा होने से लिवर में फैट जमा होने लगता है, मेडिकल भाषा में इसे हेपेटिक स्टेटोसिस या फैटी लिवर डिजीज कहते हैं। आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से यह बीमारी बहुत आम हो गई है। डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित लोगों को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है।
फैटी लिवर का इलाज बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है। इसके तीन चरण होते हैं- ग्रेड 1- हेपेटिक स्टेटोसिस, ग्रेड 2- नॉन-अल्कोहलिक स्टेटोहेपेटाइटिस, ग्रेड 3- सिरोसिस। ग्रेड 1 लिवर में फैट जमा होने की शुरुआती स्टेज है। इसमें लिवर में 5-33 प्रतिशत तक फैट जमा हो जाता है। इसमें कोई खास लक्षण नहीं होते। वैसे तो यह स्टेज बहुत गंभीर नहीं है, लेकिन यह संकेत है कि आपको लिवर पर ध्यान देने की जरूरत है। घरेलू उपायों से भी इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है-
फैटी लिवर के लिए आयुर्वेदिक दवा
गिलोय
अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह लीवर के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। गिलोय लीवर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाली बीमारियों के लिए इम्यूनोमॉड्यूलेटर के रूप में कार्य करता है। रोजाना आधा चम्मच गिलोय पाउडर को गर्म पानी के साथ पीना फायदेमंद साबित हो सकता है।
लहसुन
भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाला यह मसाला दरअसल आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है। इसमें एलिसिन और सेलेनियम होता है, जो लिवर को साफ करने के लिए एंजाइम को सक्रिय करने में मदद करता है। ऐसे में सुबह खाली पेट लहसुन की एक या दो कली खाना फैटी लिवर में मददगार साबित हो सकता है।
त्रिफला
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में त्रिफला का सेवन बहुत कारगर माना जाता है। इसे आंवला, हरीतकी और बिभीतकी को पीसकर तैयार किया जाता है, जो अपनी उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री और लिवर को साफ करने और डिटॉक्स करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में फैटी लिवर को रिवर्स करने के लिए आप रोजाना आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ खा सकते हैं।
हल्दी
हल्दी का नियमित सेवन लिवर से फैट कम करने में बहुत मददगार होता है। दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो लिवर को बीमारियों से बचाते हैं। आप इसे खाली पेट गुनगुने पानी के साथ पी सकते हैं।