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किस दिन शमी के पौधे की पूजा नहीं करनी चाहिए?

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शमी का पौधा: हिंदू धर्म में शमी के पौधे को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शमी वृक्ष का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। शनिवार के दिन शमी की पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में शनि का अशुभ प्रभाव कम होता है। ऐसा माना जाता है कि शमी के पेड़ में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए घर में शमी का पेड़ लगाने से धन और समृद्धि आती है।

शमी के पत्ते को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। घर के प्रवेश द्वार पर शमी की टहनियाँ रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है। शमी का पेड़ भगवान विष्णु को भी प्रिय माना जाता है। दशहरे के दिन शमी की पूजा करना भगवान विष्णु की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि शमी का पौधा घर में रखने से बुरी नजर और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं शमी के पत्ते को विजय और सफलता का प्रतीक माना जाता है। अब ऐसे में किस दिन शमी के पौधे की पूजा नहीं करनी चाहिए? इसके बारे में विस्तार से जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से।

रविवार के दिन शमी के पौधों की पूजा न करना
रविवार के दिन भूलकर भी शमी के पौधों की पूजा नहीं करनी चाहिए। रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य पूजा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शमी वृक्ष का संबंध शनि ग्रह से है, जो सूर्य का शत्रु माना जाता है। शास्त्रों में रविवार को सूर्य का दिन और शनिवार को शनि का दिन माना जाता है। सूर्य और शनि को एक दूसरे का विरोधी माना जाता है। इसलिए रविवार के दिन शमी के पौधे की पूजा करना वर्जित है।

कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होती है
रविवार के दिन शमी के पौधे की पूजा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो सकती है। इससे व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही व्यक्ति के मान-सम्मान में भी कमी आने लगती है। इसलिए रविवार के दिन भूलकर भी शमी वृक्ष की पूजा न करें।

कुंडली में शनि हो सकता है कमजोर
रविवार को शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि दोष लग सकता है। जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। रोग दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है।