वाराणसी,19 नवंबर (हि.स.)। देश की प्रथम महिला वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ‘मनु’की 189वीं जयंती रविवार को उनकी जन्मस्थली भदैनी में धूमधाम से मनाई गई। सामाजिक संस्था जागृति फाउंडेशन एवं महारानी लक्ष्मीबाई जन्म स्थान स्मारक समिति के संयुक्त पहल पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष एवं काशी कर्मकांड न्यास परिषद के अध्यक्ष आचार्य पंडित अशोक द्विवेदी के अगुवाई में महारानी के शौर्य और बलिदान को नमन किया गया। इस दौरान आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि झांसी की रानी काशी की बेटी थी। और हमें गर्व है की वह हम लोगों के मोहल्ले की थी। आज उनकी जन्मस्थली पर आकर गौरव की अनुभूति हो रही है।
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में जो अपना अमूल्य योगदान दिया उसको हम शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। रानी लक्ष्मीबाई के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही आज देश स्वतंत्र हुआ। साहित्यकार डॉ जयप्रकाश मिश्रा ने ओजस्वी कविताओं को सुना कर महारानी को अपनी भावांजलि अर्पित की। अमेरिका से आए स्वामी अदृशानंद महाराज ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी में अंग्रेजों के सामने समर्पण करने से मना करते हुए कहा था कि मैं जिंदा रहते हुए अपनी झांसी किसी को नहीं दूंगी ।उसी का परिणाम रहा कि हमारा देश आज स्वतंत्र हुआ और हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
दुर्गा मन्दिर के महंत विकास दुबे ने कहा कि हमें महारानी के बताए हुए रास्तों पर चलना होगा। आज की पीढ़ी को महारानी के बारे में जानकारी देनी चाहिए। और तभी देश में देशभक्त पीढ़ी पैदा होगी। कार्यक्रम में स्वर्ण प्रताप चतुर्वेदी, राघवेंद्र पांडे, चिकित्सक डॉक्टर वीके सिंह एवं फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने महारानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप जलाकर समारोह का शुभारंभ किया। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रेल मंत्री अश्विन वैष्णव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वह महारानी लक्ष्मी बाई के नाम पर वीरांगना एक्सप्रेस चलाएं । वक्ताओं ने कहा कि महारानी के नाम पर एक नई ट्रेन वीरांगना एक्सप्रेस होनी ही चाहिए। अगर नई ट्रेन न चला सके तो वाराणसी से बुंदेलखंड को जाने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस का नाम बदलकर उसे वीरांगना एक्सप्रेस कर दे। यह ट्रेन महारानी के जन्मस्थली से लेकर उनकी शहीद स्थली तक जाती है। इसलिए इसका नाम वीरांगना एक्सप्रेस होना चाहिए । धन्यवाद ज्ञापन विश्वनाथ यादव एवं सत्यांशु जोशी ने संयुक्त रूप से किया।