नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की तीन दिवसीय द्विमासिक पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली समीक्षा बैठक की शुरुआत 7 अक्टूबर को होगी, जो 9 अक्टूबर तक चलेगी। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली इस बैठक के निर्णय की घोषणा शक्तिकांत दास 9 अक्टूबर को करेंगे। हालांकि, इस बार भी नीतिगत ब्याज दर में बदलाव की कोई संभावना नहीं है।
आर्थिक मामलों के जानकारों ने रविवार को बताया कि आरबीआई इस बार भी नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करेगा। जानकारों का कहना है कि मौद्रिक नीति समिति इस बार भी इजराइल-ईरान जंग की मौजूदा हालात और अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दरों में 0.5 फीसदी तक की कटौती की गई है। इसके अलावा रिजर्व बैंक कुछ अन्य विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों को भी फॉलो नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दरों में कटौती की है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है।
जानकारों का कहना है कि इससे पिछली अगस्त में हुई एमपीसी की बैठक में आरबीआई ने लगातार 9वीं बार नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। इस बार भी नीतिगत ब्याज दरों रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं है। विशेषज्ञों का का कहना है कि खुदरा महंगाई दर अब भी चिंता का विषय है, जबकि पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा। ऐसे में इस बार रेट कट की गुंजाइश नहीं के बराबर है।
क्या होता है नीतिगत दर यानी रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक किसी भी तरह की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसे उधार देता है। आरबीआई रेपो दर का उपयोग मौद्रिक प्राधिकरण मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए करते हैं। आरबीआई ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा हुआ है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था, जो अभी 6.50 फीसदी पर है। कोविड-19 से पहले 6 फरवरी, 2020 को रेपो रेट 5.15 फीसदी पर था।