प्रेमानंद महाराज: होली का त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों, प्रेम और भाईचारे का त्यौहार है। इस दिन लोग खूब होली खेलते हैं और एक-दूसरे को फूल और रंग लगाते हैं। होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है।
ये लोग हिरण्यकश्यप जनजाति के हैं।
कई लोग होली तो मनाते हैं, लेकिन इस दिन शराब और नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैं और बाद में समाज का माहौल खराब करने लगते हैं। कुछ लोग तो इस दिन एक-दूसरे के चेहरे पर काली स्याही लगाकर उसे नाली में फेंक देते हैं। प्रेमानंद महाराज ने ऐसे लोगों को हिरण्यकश्यप जाति का बताया है।
होली मनाने का सही तरीका क्या है?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार होली एक दूसरे के प्रति प्रेम से खेलनी चाहिए। इस दिन आप एक दूसरे को फूल अर्पित करते हैं और भगवान को भोग लगाते हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने सभी देशवासियों से होली के दिन किसी भी प्रकार का नशा न करने की अपील भी की। नशा किसी भी उत्सव को बर्बाद कर सकता है।
होली शांतिपूर्वक मनाएं।
होली शांतिपूर्वक मनाई जानी चाहिए। इस दिन प्रेम से एक-दूसरे को फूल भेंट करने चाहिए, भगवान को मिठाई का भोग लगाना चाहिए तथा साथ बैठकर भजन गाना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे इस दिन भगवान का नाम जपते हुए होली का आनंद लें।