
भारत के मौसम विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की है कि इस साल देश में मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। यह भविष्यवाणी विशेष रूप से कृषि और भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 18 प्रतिशत योगदान है और 42 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका अभी भी कृषि पर निर्भर है।
मॉनसून का समय: जून से सितंबर तक
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, भारत में प्रचंड गर्मी के दो महीने, खासकर मई और जून में आधा भारत बुरी तरह से तपता है। इसी समय के आसपास मानसून की शुरुआत होती है, और उत्तर भारत में मानसून के रूट और तारीख का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस साल मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है, और संचयी वर्षा 87 सेमी के दीर्घकालिक औसत का 105 प्रतिशत तक हो सकती है।
एल नीनो से राहत
इस साल एल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना नहीं है, जो आमतौर पर भारत में सामान्य से कम मानसून का कारण बनती है। आमतौर पर, मानसून 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देता है और सितंबर के मध्य तक वापस चला जाता है। केरल के रास्ते भारत में प्रवेश करने वाला मानसून पश्चिमी भारत (महाराष्ट्र) से होते हुए मध्य भारत और फिर दिल्ली यानी उत्तर भारत में पहुंचता है। इस दौरान, बादल उमड़ते-घुमड़ते हुए भारी बारिश करते हैं। प्रचंड गर्मी से जूझ रहे लोग सूरज से राहत की उम्मीद करते हैं, जबकि मानसून के सीजन में लोग इंद्र देवता से जोरदार बारिश की गुजारिश करते हैं।
एक्सट्रीम रेनफॉल
IMD के अनुसार, यदि किसी स्थान पर 24 घंटे में 204.5 मिमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो उसे अत्यधिक भारी वर्षा (Extremely Heavy Rainfall) कहा जाता है। इसके अलावा, जब किसी शहर के वेदर स्टेशन पर दैनिक वर्षा उस महीने या मौसम के लिए सबसे अधिक दर्ज की जाती है, तो उसे असाधारण रूप से भारी वर्षा (Exceptionally Heavy Rainfall) माना जाता है। पिछले दो सालों में, अगस्त के महीने में देश के कई हिस्सों में अत्यधिक भारी बारिश हो रही है।
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