अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने यहां से चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है। यह फैसला सियासी पंडितों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (सपा) के रणनीतिकारों के लिए भी एक बड़ा सरप्राइज साबित हुआ है। चंद्रभान पासवान भले ही राष्ट्रीय स्तर पर बहुत चर्चित चेहरा न हों, लेकिन भाजपा ने उनके जरिए एक खास रणनीति अपनाई है।
सपा बनाम भाजपा: समीकरण की जंग
सपा ने इस सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतारा है, जो पासी समुदाय से आते हैं। पासी वोट इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
- चंद्रभान पासवान भी पासी समुदाय से हैं। भाजपा ने पासी वोटों को बांटने की रणनीति के तहत उन्हें उम्मीदवार बनाया है।
- भाजपा को उम्मीद है कि ब्राह्मणों और अन्य समुदायों के समर्थन के साथ पासी वोटों का विभाजन सपा को नुकसान पहुंचाएगा।
मिल्कीपुर के जातीय समीकरण
- पासी समुदाय: बड़ी संख्या में प्रभावी मतदाता।
- ब्राह्मण समुदाय: एक अन्य महत्वपूर्ण वोट बैंक।
- यादव समुदाय: लगभग 55,000 मतदाता।
- मुस्लिम समुदाय: भी अच्छी संख्या में।
सपा का पारंपरिक समीकरण यादव-मुस्लिम और पासी वोटों पर आधारित रहा है। भाजपा इस समीकरण को तोड़ने के लिए पासी समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा की रणनीति: जमीनी पकड़ और बड़ा संदेश
भाजपा ने चंद्रभान पासवान को उतारकर दलितों और पासी समाज को एक मजबूत संदेश दिया है।
- सामाजिक संदेश: एक आम पासी नेता को उम्मीदवार बनाकर भाजपा समुदाय के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहती है।
- स्थानीय पकड़: चंद्रभान पासवान क्षेत्र में सक्रिय नेता रहे हैं। उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं, जिससे उनका स्थानीय प्रभाव मजबूत है।
- भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर: 2022 में इस सीट से सपा के अवधेश प्रसाद विधायक थे, जो बाद में लोकसभा सांसद बने। भाजपा इस सीट पर जीत हासिल कर लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेना चाहती है।
भाजपा के हाई-प्रोफाइल कैंपेन
भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
- सात मंत्रियों की तैनाती: यूपी सरकार के स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौर, और सूर्य प्रताप शाही समेत कई मंत्री लगातार क्षेत्र में कैंप कर रहे हैं।
- जमीनी कार्यकर्ताओं की सक्रियता: मंत्रियों और स्थानीय कार्यकर्ताओं की टीम मतदाताओं को जुटाने में सक्रिय है।
सपा की चुनौती
सपा ने इस सीट पर अपने मजबूत उम्मीदवार अजित प्रसाद को उतारा है।
- अजित प्रसाद, दो बार विधायक रहे अवधेश प्रसाद के बेटे हैं।
- सपा का भरोसा यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण पर टिका है।
नतीजों का असर
मिल्कीपुर की सीट सिर्फ विधानसभा चुनाव के लिए नहीं, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा और सपा दोनों के लिए बेहद अहम है।
- भाजपा को चंद्रभान पासवान के जरिए एक नया मजबूत दलित नेता मिलने की उम्मीद है।
- सपा के लिए यह सीट अपनी पारंपरिक पकड़ और जातीय समीकरण की ताकत को साबित करने का मौका है।
चुनाव की तारीखें और मतदाताओं की भूमिका
- मतदान की तारीख: 5 फरवरी 2025।
- चुनाव प्रचार की आखिरी तारीख: 3 फरवरी 2025।
- चुनावी माहौल: दोनों दल पूरी ताकत के साथ मैदान में हैं, जिससे मुकाबला बेहद रोमांचक होने की संभावना है।
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