माइग्रेन के हमलों को कैसे प्रबंधित करें: माइग्रेन जागरूकता सप्ताह लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है कि माइग्रेन को सिर्फ सिरदर्द के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, इस बीमारी के लक्षण क्या हैं, इसे कैसे नियंत्रित किया जाए। आख़िर, माइग्रेन का कारण क्या है और माइग्रेन के हमलों को कैसे रोका या कम किया जा सकता है? साथ ही जानिए इस बीमारी से सचेत रहने के लिए डॉक्टर क्या सलाह देते हैं।
माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जिसमें आंखों में जलन, चक्कर आना, उल्टी, सिर के आधे हिस्से में तेज दर्द या नसों में तेज दर्द होता है। इस बीमारी के होने पर ज्यादातर लोग दर्द निवारक दवाएं लेते हैं, जिससे उन्हें राहत मिलती है।
माइग्रेन से बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि माइग्रेन सिर्फ एक सिरदर्द नहीं है, बल्कि एक पुरानी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। हालाँकि इस बीमारी का कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन ऐसे कई कारक हैं जो माइग्रेन का कारण बन सकते हैं। माइग्रेन का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। क्रोनिक माइग्रेन या बार-बार होने वाले माइग्रेन से अनिद्रा, आंखों के नीचे काले घेरे और कभी-कभी अवसाद हो सकता है। अगर किसी को तेज सिरदर्द होता है, तो यह न्यूरोलॉजिकल समस्या, आंखों या सिर के हिस्से में सूजन या कोई अन्य समस्या हो सकती है।
माइग्रेन से कैसे बचें
पहला कदम ट्रिगर की पहचान करना है। हर किसी को सिरदर्द होता है जो माइग्रेन का कारण बनता है। पहले कारण पहचानें और ऐसा होने से रोकें। माइग्रेन के ट्रिगर को पहचानकर इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉक्टर को कब दिखाना है
– अगर आपको क्रोनिक माइग्रेन है, यानी हर सुबह या किसी भी समय एक बार सिरदर्द होता है।
– यदि सिरदर्द की आवृत्ति बहुत अधिक है और माइग्रेन हर हफ्ते या हर 15 दिन में होता है।
– यदि सिरदर्द के साथ गंभीर उल्टी, चक्कर आना या अंधापन का एहसास हो।
– सिरदर्द के कारण मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।