जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी : हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत और फ्रांस ने सोमवार को 63,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। इस सौदे के तहत भारत को 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान मिलेंगे। इससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ जाएंगी क्योंकि भारतीय नौसेना भी राफेल विमानों से हमला कर सकेगी।
भारत को कितने राफेल मिलेंगे?
6.6 बिलियन यूरो (63,887 करोड़ रुपए) के इस सौदे में भारत को कुल 26 विमान मिलेंगे, जिनमें 22 सिंगल-सीट राफेल-एम जेट और 4 ट्विन-सीट जेट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इस राशि में हथियार, सिमुलेटर, चालक दल प्रशिक्षण, विमान रखरखाव सहायता और पांच वर्षों के लिए प्रदर्शन-आधारित रसद शामिल हैं। इस सौदे में वर्तमान में भारतीय वायु सेना में सेवारत 36 राफेल विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स और उपकरण भी शामिल हैं। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा विदेशी रक्षा सौदा है।
यह सौदा कब होगा?
फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू 27 अप्रैल को भारत आने वाले थे, लेकिन आतंकवादी हमलों के कारण उत्पन्न तनाव के कारण उन्होंने अपनी भारत यात्रा स्थगित कर दी। तो अब दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों ने सोमवार 28 अप्रैल को नई दिल्ली में इस डील पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के रक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हुए।
भारत को राफेल कब मिलेगा?
भारत को मौजूदा सौदे के लिए कम से कम चार साल इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि राफेल जैसे परिष्कृत लड़ाकू विमान के उत्पादन और परीक्षण में काफी समय लगता है। पहला बैच 2029 के अंत तक प्राप्त होने की उम्मीद है, जबकि पूरा ऑर्डर 2031 तक वितरित किया जाएगा। इन विमानों का संचालन आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत जैसे विमान वाहक जहाजों से किया जाएगा।
राफेल की विशेषताएं क्या हैं?
राफेल जेट एक बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है जो विभिन्न प्रकार के मिशनों को अंजाम दे सकता है। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।
– बहुउद्देशीय क्षमता: राफेल में हवा से हवा (आसमान में दुश्मन के विमानों से लड़ना) और हवा से जमीन (आसमान से जमीन पर लक्ष्य पर हमला) करने की क्षमता है। यह दुश्मन के नौसैनिक जहाजों पर हमला भी कर सकता है और टोही मिशन भी चला सकता है।
– बाज की गति: राफेल अधिकतम 1,912 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ सकता है। ऊंचाई हासिल करने की दृष्टि से राफेल दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। यह केवल एक मिनट में 18,000 मीटर या 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है।
– लंबी दूरी की क्षमता: राफेल की ‘कॉम्बैट रेंज’ (हमला करने के लिए दुश्मन के इलाके में जाने और वापस लौटने की रेंज) करीब 1,850 किलोमीटर है। इसकी ‘फेरी रेंज’ (ईंधन टैंक पूरी तरह भरने के बाद लगातार उड़ान की रेंज) 3,700 किलोमीटर है।
– अत्याधुनिक एवियोनिक्स: राफेल में उन्नत एवियोनिक्स सिस्टम हैं, जो इसकी दक्षता को बढ़ाते हैं।
– व्यापक शस्त्रागार: राफेल विमान हल्के और भारी हथियारों की एक विस्तृत श्रृंखला ले जा सकता है। इसके पास परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की भी क्षमता है।
– हवा में ईंधन भरने की क्षमता: राफेल में उड़ान के दौरान भी ईंधन भरा जा सकता है, जिससे यह लंबे समय तक हवा में रह सकता है। युद्ध जैसी स्थिति में यह बहुत उपयोगी पहलू साबित हो सकता है।
– संकीर्ण स्थान पर लैंडिंग क्षमता: राफेल संकीर्ण स्थानों पर भी उतरने में सक्षम है, जिसके कारण इसे छोटे हवाई अड्डों और यहां तक कि विमान वाहक से भी सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सकता है।
– प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी कुशल: राफेल प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी सुरक्षित रूप से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है।
– डिजाइन विशेषताएं: राफेल में डेल्टा पंख और जुड़वां इंजन हैं, जो इसे बेहतर गति और हैंडलिंग क्षमताएं प्रदान करते हैं।
भारत की सैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी
भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में 36 राफेल जेट हैं, जिन्हें अंबाला (हरियाणा) और हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में दो स्क्वाड्रनों में विभाजित किया गया है। युद्ध के नजरिए से राफेल एक बहुत ही ‘गुणवत्तापूर्ण’ लड़ाकू विमान है, इसलिए नए राफेल के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी वृद्धि होगी। चीन और पाकिस्तान के पास इतने लाखों लड़ाकू विमान नहीं हैं। राफेल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना को मजबूत समर्थन प्रदान करेगा।
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