बिहार विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया है. इसके साथ ही कुल रिजर्व बढ़कर 75 फीसदी हो गया है.
इस मौके पर विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसके साथ ही राज्य में आरक्षण की राशि बढ़कर 75 फीसदी हो गयी है. इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण भी शामिल है. केंद्र सरकार ने कुछ साल पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया है जिसे बिहार सरकार ने भी लागू कर दिया है.
आज पारित आरक्षण विधेयक के अनुसार, एसटी आरक्षण एक प्रतिशत से बढ़कर दो प्रतिशत हो गया है , एससी आरक्षण 16 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया है , ओबीसी आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है , ईबीसी आरक्षण 18 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया है। प्रतिशत.
इससे पहले बिहार विधानसभा में जाति आधारित सर्वेक्षण और आरक्षण की राशि बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई. इस बीच नीतीश और मांझी के बीच तीखी नोकझोंक हुई. चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि हम नहीं मानते कि बिहार की जाति आधारित जनगणना सही तरीके से हुई है. यदि जनगणना के आंकड़े गलत होंगे तो इसका लाभ सही और योग्य लोगों तक नहीं पहुंच पाएगा
मांझी के इस बयान से नीतीश नाराज हो गये. नीतीश ने कहा कि यह मेरी मूर्खता थी कि मैंने मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. नीतीश ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री बनाने के दो महीने के भीतर ही पार्टी के लोगों ने मुझसे कहा कि मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती हुई, उन्हें हटाओ.
गौरतलब है कि जीतनराम मांझी मई 2014 से फरवरी 2015 तक नौ महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे .