भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच कुछ ही घंटों में शुरू होने वाला है. इन दोनों टीमों ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है. खासकर अगर भारत की बात करें तो यह टीम पूरे वर्ल्ड कप सीजन में एक भी मैच नहीं हारी है और इसकी बड़ी वजह मोहम्मद शमी हैं. फाइनल मैच में मोहम्मद शमी से टीम इंडिया और भारत के तमाम फैंस को भी काफी उम्मीदें हैं.
फाइनल मुकाबले में पूरे देश की उम्मीदें शमी पर टिकी हैं
मोहम्मद शमी को इस विश्व कप के शुरुआती मैचों में नहीं खिलाया गया था लेकिन जब से उन्हें मौका मिला है दोबारा कोई उन्हें टीम से बाहर नहीं कर पाया है. मोहम्मद शमी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ धर्मशाला में मैच खेला और पहले ही मैच में 5 विकेट लिए. इसके बाद शमी ने शानदार प्रदर्शन जारी रखा और महज 6 मैचों में 23 विकेट लेकर इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए सेमीफाइनल मैच में भी शमी ने शानदार प्रदर्शन किया था. उस मैच में भी शमी ने न्यूजीलैंड के 7 बल्लेबाजों को आउट कर टीम इंडिया को जीत दिलाई और खुद प्लेयर ऑफ द मैच बने।
वह एक बॉलिंग मशीन की तरह गेंदबाजी करते हैं।’
शमी के कोच बदरुद्दीन ने बचपन में शमी को कोचिंग दी थी. उन्होंने कहा कि शमी ने लॉकडाउन के दौरान अपनी गेंदबाजी पर काफी काम किया है. वह अपने गांव आते थे और अपने भाई को गेंदबाजी करते थे। मोहम्मद शमी अपने भाई से दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक गेंदबाजी कराते थे यानी वह हर दिन 8 घंटे तक एक ही जगह पर गेंदबाजी का अभ्यास करते थे इसलिए हमें विश्वास था कि वह एक गेंदबाजी मशीन थे और लगातार एक ही जगह पर गेंदबाजी कर रहे थे।
शमी को बचपन में कोचिंग देने वाले उनके कोच बदरुद्दीन ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए कहा कि शमी ने लॉकडाउन के दौरान अपनी गेंदबाजी पर काफी काम किया. वह अपने गांव आते थे और अपने भाई को गेंदबाजी करते थे। मोहम्मद शमी अपने भाई से दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक गेंदबाजी कराते थे, यानी हर दिन 8 घंटे तक एक ही जगह पर गेंदबाजी की प्रैक्टिस करते थे. इसलिए हमने सोचा कि यह कोई बॉलिंग मशीन है, जो लगातार एक ही जगह पर बॉलिंग कर रही है।’
शमी ने गीली गेंदों से भी खूब अभ्यास किया
शमी के कोच ने कहा, ‘शमी एक ही पिच पर कई घंटों तक लगातार गेंदबाजी कर सकते हैं. इसके अलावा मोहम्मद शमी के कोच ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शमी ने कोहरे की समस्या से उबरने के लिए भी अभ्यास किया. मैदान पर धुंध के कारण रात में गेंदबाजों को गेंद पकड़ने और सटीक गेंदबाजी करने में दिक्कत आती है लेकिन शमी ने रात में गीली गेंदों से गेंदबाजी का खूब अभ्यास किया है ताकि जरूरत पड़ने पर वह इसका इस्तेमाल कर सकें.