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तमिलनाडु सरकार ने रुपये का चिह्न बदला, सियासी घमासान तेज

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तमिलनाडु सरकार ने रुपये (₹) के आधिकारिक चिह्न को बदलने का फैसला किया है और इसके स्थान पर तमिल अक्षर जोड़ने की योजना बनाई है। यह फैसला बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर चुका है, क्योंकि रुपये का चिह्न खुद तमिलनाडु के एक व्यक्ति, डी उदय कुमार, ने डिजाइन किया था।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि उदय कुमार के पिता डी धर्मलिंगम द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम (DMK) के पूर्व विधायक रह चुके हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि DMK सरकार ने अपने ही राज्य के व्यक्ति द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय चिह्न को क्यों बदला?

कौन हैं रुपये के सिंबल के डिजाइनर?

  • रुपये का आधिकारिक चिह्न IIT बॉम्बे के छात्र रहे डी उदय कुमार ने डिजाइन किया था।
  • उनका जन्म तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई जिले के मरूर गांव में हुआ था।
  • उनके पिता डी धर्मलिंगम, DMK के पूर्व विधायक थे।
  • 2010 में उदय कुमार की डिजाइन को भारतीय रुपये के आधिकारिक चिह्न के रूप में चुना गया था।
  • इस चिह्न में देवनागरी (र) और रोमन (R) लिपि के तत्वों का मिश्रण है।

“उदय कुमार ने यह प्रतियोगिता सैकड़ों प्रतिभागियों को पछाड़कर जीती थी, और उनकी डिजाइन को पूरे भारत ने अपनाया।”

DMK सरकार के फैसले पर BJP का पलटवार

तमिलनाडु सरकार के इस फैसले पर BJP ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

BJP के तमिलनाडु प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा:

“DMK सरकार ने रुपये के चिह्न को बदल दिया, जिसे एक तमिल व्यक्ति ने ही डिजाइन किया था और पूरे भारत ने अपनाया। यह स्टालिन सरकार की राजनीति का एक और उदाहरण है।”


BJP IT सेल प्रमुख अमित मालवीय का हमला:

“मुख्यमंत्री एमके स्टालिन रुपये के चिह्न को तमिलनाडु बजट 2025-26 के दस्तावेजों से हटाकर तमिलनाडु की जनता का अपमान कर रहे हैं।”

BJP का कहना है कि यह फैसला तमिल पहचान की राजनीति से प्रेरित है और केंद्र सरकार के खिलाफ DMK की वैचारिक लड़ाई का हिस्सा है।


रुपये के सिंबल की कहानी

  • 2010 में भारत सरकार ने रुपये के लिए एक आधिकारिक चिह्न की जरूरत महसूस की।
  • IIT बॉम्बे के डी उदय कुमार ने इस चिह्न को डिजाइन किया और सरकार द्वारा इसे मंजूरी दी गई।
  • यह चिह्न भारतीय संस्कृति और पश्चिमी वैश्विक पहचान का एक मिश्रण था।
  • यह चिह्न अब भारत की मुद्रा नोटों, सिक्कों और डिजिटल लेन-देन में इस्तेमाल किया जाता है।

DMK सरकार का क्या तर्क है?

DMK सरकार के फैसले के पीछे अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह तमिल भाषा और संस्कृति को प्राथमिकता देने की उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

DMK सरकार पहले भी:

  • तमिल भाषा को प्राथमिकता देने के लिए कई नीतियां बना चुकी है।
  • हिंदी थोपने के विरोध में केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करती रही है।
  • तमिल पहचान को बढ़ावा देने के लिए अलग फैसले लेती रही है।

क्या रुपये के चिह्न को बदलना संभव है?

 रुपये का चिह्न भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत है।
 अगर तमिलनाडु अपने बजट दस्तावेजों में इसे बदलता है, तो यह सिर्फ राज्य स्तर पर लागू होगा।
 राष्ट्रीय स्तर पर इसे बदलने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है।