दीया मिर्जा, जिन्होंने मिस इंडिया एशिया पेसिफिक 2000 और मिस एशिया पेसिफिक इंटरनेशनल 2000 का ताज जीता, बॉलीवुड में डेब्यू के समय ऐश्वर्या राय बच्चन से लगातार तुलना झेल रही थीं। ऐश्वर्या, जो पहले ही मिस वर्ल्ड 1994 बन चुकी थीं, अपनी खूबसूरती और ग्लैमर के लिए जानी जाती थीं। जब दीया ने 2001 में ‘रहना है तेरे दिल में’ से फिल्मों में कदम रखा, तो लोग चाहते थे कि वह भी ऐश्वर्या जैसी दिखें।
“खुद को खूबसूरत नहीं मानती थी” – दीया मिर्जा
जूम को दिए एक इंटरव्यू में दीया मिर्जा ने अपने करियर की शुरुआती चुनौतियों को लेकर खुलासा किया।
- उन्होंने बताया, “जब मैंने डेब्यू किया, तब मेरी तुलना कई ब्यूटी क्वीन्स से होती थी, खासतौर पर ऐश्वर्या राय से। लोग चाहते थे कि मैं उनकी तरह दिखूं।”
- दीया ने आगे कहा,
“तब खूबसूरती के लिए गोरा होना और नीली आंखें होना बहुत जरूरी माना जाता था।”
- “करियर के शुरुआती 3-4 साल तक, मैंने नीले रंग के लेंस पहने ताकि मैं ऐश्वर्या जैसी दिख सकूं और इंडस्ट्री के ब्यूटी स्टैंडर्ड को पूरा कर सकूं।”
- उन्होंने यह भी कहा,
“सबसे अजीब बात यह थी कि मिस इंडिया और मिस एशिया पेसिफिक जीतने के बावजूद, मैं खुद को खूबसूरत नहीं मानती थी।”
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‘प्राण जाए पर शान न जाए’ फिल्म को देखकर आज भी सिहर जाती हूं
महेश मांजरेकर की 2003 में आई ब्लैक कॉमेडी फिल्म ‘प्राण जाए पर शान न जाए’ में दीया मिर्जा ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया, जिसे समाज खूबसूरत नहीं मानता था।
- दीया ने इस फिल्म को लेकर बताया,
“मुझे इस फिल्म में जानबूझकर काला दिखाया गया। मेरे चेहरे पर मेकअप किया जाता था ताकि मेरा रंग सांवला लगे। लेकिन मेरी आंखों का रंग वैसा ही रखा गया।”
- फिल्म के अंत में जब किरदार का ट्रांसफॉर्मेशन दिखाया गया, तो मुझे गोरा बनाया गया और मेरी आंखों का रंग ग्रे कर दिया गया।
- “उस समय मुझे यह सब समझ नहीं आया, लेकिन जब आज इस फिल्म को देखती हूं, तो डर जाती हूं। सिहर जाती हूं।”