
टीबी को अक्सर फेफड़ों से जुड़ी बीमारी माना जाता है, लेकिन यह केवल वहीं तक सीमित नहीं है। पेट की टीबी, जिसे मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्यूबरकुलोसिस या Abdominal TB कहा जाता है, एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है जो आंतों, अपेंडिक्स, कोलन और रेक्टम जैसी पाचन तंत्र की अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी अक्सर माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है, जो फेफड़ों की टीबी के लिए भी जिम्मेदार होता है।
पेट की टीबी फेफड़ों की टीबी से क्यों ज्यादा खतरनाक मानी जाती है?
- पहचान में देर: पेट की टीबी का पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण पेट से जुड़ी सामान्य समस्याओं जैसे लगते हैं।
- जटिलताएं: पहचान में देरी के कारण समय पर इलाज नहीं हो पाता और इससे रोग जटिल रूप ले सकता है।
- अलग लक्षण: इसके लक्षण फेफड़ों की टीबी से अलग होते हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनती है और इलाज देर से शुरू होता है।
पेट की टीबी के प्रमुख लक्षण:
- अचानक और तेज़ी से वजन कम होना
- खाना खाने के बाद उल्टी होना
- बार-बार दस्त या लंबे समय तक कब्ज
- भूख न लगना या खाने से अरुचि
- मल में खून आना
- पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द
- सामान्य थकान और कमजोरी
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
पेट की टीबी होने के मुख्य कारण:
- फेफड़ों की टीबी का संक्रमण पेट तक पहुंच जाना (थूक निगलने से)
- संक्रमित या दूषित दूध पीना
- किसी टीबी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आना
- कमजोर इम्यून सिस्टम
पेट की टीबी से कैसे बचें?
- बीसीजी वैक्सीन लगवाना: यह टीबी के खिलाफ सबसे पहला और जरूरी बचाव है, खासकर बच्चों के लिए।
- टीबी मरीजों से दूरी बनाए रखें: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें और उनकी वस्तुओं का साझा उपयोग न करें।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: भोजन और पानी को साफ-सुथरे ढंग से सेवन करें।
- इम्यून सिस्टम मजबूत रखें: संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम करें ताकि शरीर संक्रमण से लड़ सके।
- समय पर इलाज: अगर शरीर में कोई भी टीबी से जुड़े लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और जांच करवाएं।
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