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कर्मचारियों की छुट्टी: कंपनी का ऐलान..! इस कंपनी ने 50000 कर्मचारियों को दी 10 दिन की छुट्टी, सैलरी में नहीं होगी कटौती

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कर्मचारी अवकाश: : व्यापार जगत में कई बार ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जिनकी चर्चा हर जगह होने लगती है। सूरत की एक हीरा कंपनी ने भी ऐसा ही कदम उठाया है। कंपनी ने अपने करीब 50 हजार कर्मचारियों को एक साथ छुट्टी पर भेजने का फैसला किया है। इन सभी को 17 से 27 अगस्त तक छुट्टी पर रहना होगा। इसके लिए सभी कर्मचारियों को वेतन भी दिया जाएगा। हालांकि, यह छुट्टी कर्मचारियों को चिंता में डाल रही है। कंपनी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पॉलिश किए गए हीरों की मांग धीमी पड़ने के कारण उसे यह कदम उठाना पड़ा है।

किरण जेम्स कंपनी ने हीरा क्षेत्र में मंदी का हवाला दिया

किरण जेम्स कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, यह दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक हीरा निर्माता कंपनी है। कंपनी के चेयरमैन वल्लभभाई लखानी ने कहा कि कर्मचारियों को 10 दिन की छुट्टी पर भेजा जा रहा है। हम इसके लिए सभी को वेतन देंगे। हालांकि, इसमें थोड़ी कटौती होगी। हीरा क्षेत्र में मंदी के कारण हमें यह फैसला लेना पड़ा है। इस आर्थिक मंदी ने हमें परेशान कर दिया है। कच्चे हीरों की आपूर्ति कम हो रही है। साथ ही पॉलिश किए गए हीरों की निर्यात मांग भी कम हुई है।

वल्लभभाई लखानी ने कहा- घटती मांग से कंपनियां चिंतित

वल्लभभाई लखानी ने कहा कि मांग कम होने से हीरा क्षेत्र की दूसरी कंपनियों पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि, फिलहाल वह चुप हैं। लेकिन, हम इस सच्चाई के बारे में सबको बताना चाहते थे, इसलिए यह फैसला लेना पड़ा। अपने कर्मचारियों को एक साथ छुट्टी देने से हम अपने काम को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे। फिलहाल इस आर्थिक मंदी के असली कारणों के बारे में ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता।

कारोबार 2.25 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.50 लाख करोड़ रुपये रह गया

सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खुंट ने बताया कि दुनिया की कुल हीरे की मांग का 90 फीसदी हिस्सा सूरत में ही प्रोसेस होता है। पहली बार किरण जेम्स जैसी बड़ी कंपनी ने इस तरह से छुट्टी देने का कड़ा कदम उठाया है। पॉलिश किए गए 95 फीसदी हीरे निर्यात किए जाते हैं। रूस-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध के कारण इसे नुकसान उठाना पड़ा है। सूरत के हीरा उद्योग ने करीब 10 लाख लोगों को रोजगार दिया है। लेकिन हमारा टर्नओवर 2 साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.50 लाख करोड़ रुपये रह गया है।