ज्योतिष और हिंदू धर्म में खरमास को बहुत ही अशुभ माना जाता है। इस दौरान विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास पूरे एक महीने तक रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 15 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है, जो नए साल में मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को समाप्त होगा।
क्यों लगता है खरमास?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव की एक राशि से दूसरी राशि में स्थिति बदलने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। दिसंबर में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, नव वर्ष 2023 में 14 जनवरी को जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब मकरसंक्रांति होगी।
एक माह तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे
16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि नहीं किए जाते हैं। खरमास को कोई भी नया काम शुरू करने के लिए भी अशुभ माना जाता है।
साल 2023 में इसी तिथि से मांगलिक कार्य शुरू होंगे
मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को खरमास का समापन होगा। ऐसे में 15 जनवरी से सभी मांगलिक कार्य और मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि फिर से शुरू हो जाएंगे.
खरमास में सूर्य देव की पूजा करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास को पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इस पूरे माह में सूर्यदेव की उपासना का फल बताया गया है। खरमास के पूरे महीने में तांबे के पात्र से सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य का पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए।