Saturday , March 15 2025

उत्तराखंड के चमोली में बर्फीली तबाही: अब तक 8 की मौत, लापता लोगों की तलाश जारी

India Avalanche Climate 1 174090

उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में शुक्रवार को आए भीषण हिमस्खलन (एवलांच) में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। रविवार सुबह, खोजी कुत्तों और हेलीकॉप्टरों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन तेज किया गया, जिसमें पहले तीन और फिर एक शव बरामद हुआ। इस तरह मरने वालों की संख्या 8 हो गई है।

गौरतलब है कि इस हादसे में 54 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए थे। इनमें से 50 को बचा लिया गया, लेकिन इनमें से चार मजदूरों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जबकि एक मजदूर हादसे से पहले ही अपने घर चला गया था, जिससे वह इस तबाही से बच गया।

हेलीकॉप्टर और खोजी कुत्तों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

भारतीय वायुसेना के Mi-17 और चीता हेलीकॉप्टर लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। भारतीय सेना ने ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंस बरीड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम का भी उपयोग किया है, जिससे बर्फ के अंदर दबे लोगों की पहचान करने में मदद मिल रही है।

चमोली के डीएम डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मौसम साफ होते ही सुबह 7 बजे से बचाव अभियान फिर शुरू किया गया। इसके लिए थर्मल इमेजिंग कैमरा और एनडीआरएफ के स्निफर डॉग को मौके पर भेजा गया है, जिससे लापता मजदूरों को जल्द से जल्द ढूंढा जा सके।

 उत्तराखंड हिमस्खलन: चमोली जिले में BRO शिविर में बड़ा हादसा, बचाव कार्य जारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिया बचाव कार्यों का जायजा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का दौरा किया और माणा में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बिजली, संचार और अन्य जरूरी सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।

हिमस्खलन में फंसे मजदूरों की तलाश के लिए हाई-टेक उपकरणों का इस्तेमाल

चमोली के डीएम ने जानकारी दी कि लापता मजदूरों की तलाश के लिए ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (GPR) सिस्टम मंगवाया गया है। इस अत्याधुनिक तकनीक से बर्फ के नीचे दबे लोगों का पता लगाना आसान होगा।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान, भारतीय सेना और वायुसेना के 7 हेलीकॉप्टर लगातार राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा, NDRF और SDRF की टीमें भी खोजी कुत्तों की मदद से इलाके की छानबीन कर रही हैं।

भारत-चीन सीमा के पास हुआ हादसा

यह हादसा भारत-चीन सीमा पर स्थित माणा गांव में हुआ, जो समुद्र तल से करीब 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमस्खलन के समय, सीमा सड़क संगठन (BRO) के 54 मजदूर वहां मौजूद थे और बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए।

इससे पहले, मजदूरों की कुल संख्या 55 बताई जा रही थी, लेकिन बाद में पता चला कि एक मजदूर पहले ही अपने घर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा चला गया था, जिससे वह इस हादसे से बच गया।

बचाव अभियान की निगरानी के लिए वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौके पर मौजूद

हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बचाव कार्यों की निगरानी के लिए मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा भी मौके पर पहुंचे हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल भारतीय सेना की ‘एविएशन कोर’ के तीन हेलीकॉप्टर, भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर और सेना द्वारा किराए पर लिया गया एक सिविल हेलीकॉप्टर राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं।