चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ आज से शुरू हो रहा है. आज स्नान का पहला दिन है. छठ व्रतकर्ता आज भगवान भास्कर की पूजा के साथ गंगा स्नान और नहाय खाय के साथ छठ की शुरुआत करेंगे. छठ के पहले दिन स्नान का भी विशेष महत्व है. आज के दिन को कड़वा चावल भी कहा जाता है. छठ के पहले दिन नहाय खाय पर कद्दू खाने की विशेष परंपरा है. छठ व्रती आज भी प्रसाद में कद्दू का प्रयोग करते हैं. खाई के दिन बनाए जाने वाले प्रसाद में अरवा चावल, चने की दाल, अगस्त का फूल, नए आलू और फूलगोभी से बनी सब्जी का प्रसाद होता है। इस पूरे प्रसाद को बनाने में सिंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. लाल की जगह हरी मिर्च का प्रयोग किया जाता है.
पूजा में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है
छठ व्रत करने वाले लोग नहाय-खाय के दिन से ही पवित्रता का पूरा ध्यान रखते हैं। चाहे प्रसाद बनाना हो या पूजा से जुड़ा कोई भी काम, साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. जहां संभव हो छठ व्रती या उसके परिवार के अन्य सदस्य गंगा में स्नान कर प्रसाद बनाना शुरू कर देते हैं. गंगा जल भी घर लाकर प्रसाद में मिलाया जाता है।
पटना के गंगा घाट पर छठ व्रतियों की भीड़ देखी जा रही है
नहाय खाय के दिन सुबह से ही पटना के गंगा घाट पर छठ व्रतियों की भीड़ देखी जा रही है. आज स्नान का पहला दिन है. सूर्य देव की पूजा की जाती है और मां गंगा की पूजा की जाती है। इसके बाद नहाय-खाय के लिए प्रसाद बनाया जाता है.
आज स्नान करके कल शनिवार को भोजन करना है। जिसमें व्रतधारी पूरे दिन निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर और रोटी खाएंगे. इसके बाद 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद रविवार शाम को सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. सोमवार 20 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.