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सावन के आखिरी सोमवार पर काशी नगरी हुई केशरियामय,बाबा विश्वनाथ के दरबार में शिवभक्तों का रेला

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वाराणसी,19 अगस्त (हि.स.)। सावन माह के पांचवें और आखिरी सोमवार पर काशीपुराधिपति की केशरियामय नगरी में चंहुओर कंकर-कंकर शंकर का भाव दिख रहा है। बाबा के स्वर्णमंडित दरबार में पूरे श्रद्धाभाव से पावन ज्योर्तिलिंग पर आस्था की अखंड जलधार गिर रही है। सावन के आखिरी सोमवार को शोभन योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रक्षाबंधन पर्व पर शिवभक्त बाबा का झांकी दर्शन और जलाभिषेक कर आह्लादित है। पूरा धाम परिसर श्रद्धालुओं के हर-हर महादेव, काशी विश्वनाथ शंभों के गगनभेदी कालजयी उद्घोष से गुंजायमान है।

पांचवें सोमवार पर परम्परानुसार शाम को मंदिर के गर्भगृह में बाबा का झूला श्रृंगार होगा। शिव परिवार को झूले पर विराजमान कराया जाएगा। इसके पहले दरबार में दर्शन पूजन के लिए लाखों शिवभक्त रविवार शाम से ही बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होने लगे। भोर में मंदिर के गर्भगृह में मंगला आरती के बाद मंदिर का पट खुला तो कतारबद्ध श्रद्धालुओं पर मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र और अन्य अफसरों ने गुलाब की पंखुड़िया बरसाई। आदर से आह्लादित शिवभक्त रेड कार्पेट पर चलकर बाबा के पूजन के लिए दरबार में पहुंचते रहे।

पूरे दिन और देर शाम तक यहीं क्रम अनवरत बना रहेगा। मंदिर न्यास के अनुसार पूर्वांह 09 बजे तक 98 हजार 603 शिवभक्त बाबा का दर्शन पूजन कर चुके थे। इसके पहले रविवार को भोर से शयन आरती तक 1 लाख 78 हजार 293 शिवभक्तों ने मंदिर में दर्शन पूजन किया। नियमित दर्शनार्थियों को सुबह 4 से 5 बजे तक काशी द्वार से प्रवेश दिया गया। दरबार में ज्योतिर्लिंग पर बाहर बने पात्र से जलाभिषेक कर आह्लादित भाव से श्रद्धालु बाबा के झांकी दर्शन के बाद काशी विश्वनाथ धाम के भव्य और नव्य विस्तारित स्वरूप को देख मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा करते रहे।

मंदिर में जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चिकित्सक, एम्बुलेंस और एनडीआरएफ टीम को भी तैनात किया है। पेयजल से लेकर खोया पाया केंद्र, पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगाया गया है। मंदिर में गर्भगृह के पहले ही श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन एलईडी स्क्रीन पर श्रद्धालु कर रहे हैं। दरबार में जाने के लिए स्टील की रेलिंग के बीच बिछे कारपेट से श्रद्धालु जिगजैग कतार में होकर दरबार में पहुंच रहे हैं। बाबा दरबार में आने वालों की कतार एक ओर गोदौलिया से बाबा दरबार तक है तो दूसरी ओर गंगा से बाबा दरबार तक लगी हुई थी। शिवमय हुई नगरी में गंगाघाट से बाबा दरबार तक आस्था एकाकार नजर आ रहा है। केशरिया वस्त्र धारी बाबा के भक्त कांवड़ियों का उत्साह दखते ही बन रहा है। धाम और मंदिर परिक्षेत्र के बाहर भी पुलिस अफसर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने के लिए लगातार चक्रमण कर रहे हैं।

आखिरी सोमवार पर मैदागिन से गोदौलिया, सोनारपुरा चौराहे तक, गुरुबाग से रामापुरा, बेनियाबाग तिराहे तक, ब्राडवे तिराहा से सोनारपुरा होकर गोदौलिया तक, भेलूपुर से रामापुरा चौराहे तक पैदल छोड़ सभी वाहनों को प्रतिबंधित किया गया है।

श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे सामाजिक संगठन

पांचवें सोमवार पर दरबार में कतारबद्ध कावरियों और शिवभक्तों की सेवा में सामाजिक संगठनों, नागरिक सुरक्षा संगठन के साथ सपा भाजपा के कार्यकर्ता जगह-जगह शिविर लगाये हुए हैं। नगर के अन्य प्रमुख शिवालयों ओंकारेश्वर महादेव, महामृत्युजंय, शूलटंकेश्वर महादेव, तिलभाण्डेश्वर महादेव, गौरी केदारेश्वर, त्रिलोचन महादेव, रामेश्वर महादेव, कर्मदेश्वर महादेव, सारंगनाथ, गौतमेश्वर महादेव, जागेश्वर महादेव सहित सभी छोटे-बड़े शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। गंगा में जलस्तर के बढ़ाव को देख दशाश्वमेधघाट पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। काशी विश्वनाथ धाम में तीन प्रवेश मार्गों को बंद किया गया है। दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख गंगा घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर पुलिस मुस्तैद है। श्रद्धालुओं को लाउड हेलर से आगाह किया जा रहा है कि वह गंगा में स्नान के दौरान सजग रहें। नौकायन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। गंगा में जल पुलिस और एनडीआरएफ की 11वीं वाहिनी के जवान गश्त कर रहे है।

इसी क्रम में चौबेपुर कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव धाम में श्रावण माह के आखिरी सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट कतार लगी हुई हैं। रविवार शाम से ही श्रद्धालु दरबार में पहुंच गये थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुगम दर्शन के लिए जिला प्रशासन ने जगह-जगह बैरिकेडिंग की है। धाम से तीन किलोमीटर पहले कैथी तिराहे पर ही सभी प्रकार के वाहन रोक दिए जा रहे है। श्रद्धालु गंगा-गोमती संगम में डुबकी लगाने के बाद मार्कंडेय महादेव धाम में दर्शन-पूजन व जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं। अंतिम और पांचवें सोमवार के साथ ही रक्षाबंधन का भी पर्व है, इसलिए स्थानीय भक्तों की भीड़ अधिक है।