पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच की लड़ाई अब उस मोड़ पर पहुँच गई है, जहाँ बातचीत के सारे दरवाज़े बंद होते दिख रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान पर हवाई हमला करना पाकिस्तान को इतना भारी पड़ा है कि अब हालात हाथ से निकलते जा रहे हैं। तालिबान ने पलटवार करते हुए न सिर्फ़ 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने का दावा किया है, बल्कि इस पूरे बवाल के बाद इस्लामाबाद ने काबुल में अपना दूतावास ही बंद कर दिया है।
अब हुआ क्या है?
सबसे ताज़ा और बड़ी ख़बर यह है कि पाकिस्तान ने काबुल में मौजूद अपनी एम्बेसी को बंद करने का फ़ैसला किया है। किसी भी दो देशों के बीच दूतावास का बंद होना एक बहुत बड़ा और गंभीर क़दम माना जाता है। इसका सीधा सा मतलब है कि दोनों देशों के बीच फ़िलहाल कोई सीधी बातचीत नहीं होगी और रिश्ते बेहद ख़राब हो चुके हैं।
क्यों बिगड़े इतने हालात?
इसकी शुरुआत पाकिस्तान के उस हवाई हमले से हुई, जो उसने काबुल में किया था। पाकिस्तान का आरोप था कि आतंकी उनके यहाँ हमले करके अफ़ग़ानिस्तान में छिप जाते हैं। लेकिन यह हमला तालिबान को बिल्कुल रास नहीं आया और उसने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला माना।
इसके जवाब में तालिबान ने जो किया, उसने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया। तालिबान ने दावा किया कि उसके लड़ाकों ने सीमा पर ज़बरदस्त जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तान के 58 सैनिकों को मार गिराया। इतना ही नहीं, तालिबान ने कई पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर क़ब्ज़ा करने का भी दावा किया है।
तालिबान ने दी खुली चेतावनी
तालिबान की तरफ़ से साफ़-साफ़ कह दिया गया है कि वो किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अगर पाकिस्तान ने दोबारा ऐसी हिमाक़त की, तो उसे बहुत गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।
अब आलम यह है कि दोनों देशों की सीमा पर भारी तनाव है, सेनाएँ आमने-सामने हैं और कूटनीतिक रिश्ते लगभग टूट चुके हैं। दूतावास का बंद होना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में यह तनाव कम होने की बजाय और भी बढ़ सकता है। अब सबकी नज़रें इस पर हैं कि यह सीमा-विवाद किसी बड़ी जंग में तो नहीं बदल जाएगा।
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