_1903052283.jpg)
News India Live, Digital Desk: स्वस्थ रहने के लिए दिन में कितनी बार खाना चाहिए?” यह एक ऐसा सवाल है जिसे लेकर शायद हर किसी के मन में उलझन रहती है. कोई कहता है कि दिन में तीन बार भोजन करना जरूरी है, तो कोई वजन कम करने के लिए दिन में सिर्फ एक या दो बार खाने की सलाह देता है. वहीं कुछ लोग मानते हैं कि हर दो-तीन घंटे में छोटे-छोटे मील लेना मेटाबॉलिज्म के लिए अच्छा होता है.तो आखिर सच्चाई क्या है? विज्ञान और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या कहते हैं? आइए, इस उलझन को आसान शब्दों में सुलझाते हैं.क्या कहती है पारंपरिक धारणा: दिन में 3 बार खानाहम बचपन से यही सुनते और देखते आए हैं कि दिन में तीन बार का भोजन (नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना) सबसे सही होता है. यह तरीका हमारे शरीर को दिनभर के कामों के लिए लगातार ऊर्जा देता रहता है.फायदे: इससे शरीर का एनर्जी लेवल बना रहता है, बहुत ज्यादा भूख नहीं लगती जिससे आप अनाप-शनाप खाने से बचते हैं. यह एक संतुलित और टिकाऊ तरीका है जिसे लंबे समय तक फॉलो करना आसान होता है.आज का चलन: दिन में 1 या 2 बार खाना (इंटरमिटेंट फास्टिंग)आजकल वजन कम करने और सेहत सुधारने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन बढ़ा है, जिसमें लोग दिन में सिर्फ एक या दो बार ही खाते हैं. इसमें लंबे समय तक भूखा रहा जाता है और खाने के लिए एक छोटी विंडो (समय) तय की जाती है.फायदे: कुछ स्टडीज मानती हैं कि इससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है, इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है और शरीर की आंतरिक सफाई (Autophagy) की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है.नुकसान: लेकिन हर किसी के लिए यह तरीका सही नहीं है. कुछ लोगों को इससे कमजोरी, सिरदर्द या चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है. डायबिटीज के मरीजों या गर्भवती महिलाओं को ऐसा करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए.क्या छोटे-छोटे और कई मील (4-6 बार खाना) हैं बेहतर?यह धारणा भी काफी लोकप्रिय है कि दिन में 3 बड़े मील की जगह, 5-6 छोटे-छोटे मील लेने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन कंट्रोल में रहता है.फायदे: इससे ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है और अचानक से तेज भूख नहीं लगती. यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिन्हें एसिडिटी की समस्या रहती है.नुकसान: इसमें आपको दिनभर खाने की प्लानिंग करनी पड़ती है और कई बार लोग छोटे मील के चक्कर में कैलोरी का हिसाब नहीं रख पाते और जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं.तो आखिरी फैसला क्या है?सच तो यह है कि “दिन में कितनी बार खाएं?” का कोई एक जादुई जवाब नहीं है. हर इंसान का शरीर, उसकी जीवनशैली, उम्र और स्वास्थ्य लक्ष्य अलग-अलग होते हैं.सबसे जरूरी यह नहीं है कि आप कितनी बार खाते हैं, बल्कि यह है कि आप क्या और कितना खाते हैं.अपनी सेहत का फॉर्मूला खुद बनाएं:अपने शरीर की सुनें: जब आपको सच में भूख लगे, तभी खाएं. इमोशनल ईटिंग या बोरियत में खाने से बचें.पोषक तत्वों पर ध्यान दें: आपके भोजन में प्रोटीन, फाइबर, अच्छे फैट और सभी जरूरी विटामिन-मिनरल्स होने चाहिए. जंक फूड और प्रोसेस्ड चीजों से दूर रहें.कुल कैलोरी का रखें हिसाब: आप चाहें दो बार खाएं या चार बार, यह ध्यान रखें कि आप अपनी जरूरत से ज्यादा कैलोरी तो नहीं ले रहे.अंत में, सबसे अच्छी डाइट वही है जिसे आप लंबे समय तक आसानी से निभा सकें. अगर आप दिन में तीन बार खाकर स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करते हैं, तो वही आपके लिए सही है. अगर आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग सूट कर रही है, तो आप उसे अपना सकते हैं. किसी भी बड़े बदलाव से पहले किसी डॉक्टर या डाईटीशियन से सलाह लेना हमेशा एक अच्छा विचार है.
girls globe