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कानपुर में 32 लाख लोग फाइलेरिया दवा का करेंगे सेवन : सीएमओ

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कानपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। कानपुर में लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान शनिवार से शुरु हुआ, जो कि दो सितम्बर तक चलेगा। अभियान की शुरुआत अपर निदेशक- चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल, कानपुर (एडी हेल्थ) डॉ. संजू अग्रवाल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने मां कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर में दवा का सेवन करके किया। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाएंगे और अपने सामने ही दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। गर्भवती और अति गंभीर बीमार को दवा का सेवन नहीं करना है। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी।

एडी हेल्थ ने जनपदवासियों से अपील की है कि वह खुद दवा का सेवन करें और आस-पास के लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवा खानी है। तीन साल में तीन बार यानी साल में एक बार इस दवा का सेवन कर लेने से फाइलेरिया (हाथीपांव व हाइड्रोसील) से बचाव होगा। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ दिलाई और अभियान के समर्थन में हस्ताक्षर भी किया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि जिले की करीब 32 लाख की आबादी को दवा का सेवन कराया जाएगा। दवा के निर्धारित डोज का सेवन आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करना है। अगर टीम पहुंचने पर घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनके सामने ही दवा का सेवन करें। फाइलेरिया से बचाव की दवा शरीर में इसके परजीवियों को मारती है जिसके प्रतिक्रिया स्वरुप कभी कभी सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आते हैं । यह लक्षण स्वत: ठीक हो जाते हैं और जिनमें यह लक्षण आ रहे हैं उन्हें खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया से मुक्त हो रहे हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा प्रमुख कारण है। एक बार हाथीपांव या हाइड्रोसील हो जाने पर उसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है, पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। दवा सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है।

इस अवसर पर वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा, एसीएमओ आरसीएच डॉ रमित रस्तोगी सहित सभी एसीएमओ व डिप्टी सीएमओ, चिकित्सालय के सीएमएस, वरिष्ठ परामर्शदाता, एएमओ, सभी मलेरिया इंस्पेक्टर समेत सहयोगी संगठनों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीफार, पीसीआई और एफएचआई के प्रतिनिधि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।